मानसिक तनाव बढ़ने से रोका कैसे जाए ? !

Category: Forcasting (Health) Published: Friday, 02 August 2019 Written by Dr. Shesh Narayan Vajpayee

                      समय विज्ञान के द्वारा घटाया जा सकता है मानसिक तनाव !जानिए कैसे -

  मानसिक तनाव घटाने के लिए तरह तरह की काउंसलिंग की जा रही है योग करने की सलाह दी जा रही है स्कूलों में हैपीनेस की कक्षाएँ चलाई जा रही हैं कुछ सरकारें आनंद मंत्रालय बनाना चाह रही हैं !इन सबके बाद भी एक से एक पढ़े लिखे शिक्षित समझदार लोगों को, बड़े बड़े व्यापारियों अधिकारियों आदि को तनाव से परेशान होते देखा जा रहा है आत्म हत्या जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ भी घटित होते देखी जा रही हैं किंतु मानसिकतनाव घटाने में सफलता नहीं मिल पा रही है !
      कई बार लगता है कि अपने पूर्वजों के सामने भी समस्याएँ बहुत होती थीं उस समय कितने बड़े बड़े संयुक्त परिवार हुआ करते थे सबके साथ सबको तालमेल बैठाना पड़ता था कितना कठिन होता है यह काम किंतु वे बड़ी आसानी से कर लिया करते थे !पति पत्नी के बीच कभी तलाक जैसी नौबत नहीं आती थी

उनमें कितना आपसी प्रेम होता था !परिवार की बात क्या कहें वो पड़ोसियों के साथ भी उतना अच्छा निर्वाह कर लिया करते थे जितना अच्छा आज परिवार वालों के साथ निर्वाह करना कठिन होता जा रहा है !अच्छी बुरी परिस्थितियों का सामना उन्हें भी करना पड़ता था थोड़ा बहुत तनाव तो उन्हें भी होता होगा किंतु वे तनाव में भी संयम नहीं खोते थे और कोई न कोई रास्ता निकालकर अपने को तनाव मुक्त बना लिया करते थे !इसीलिए उन्हें ब्लड प्रेशर  या हार्टअटैक जैसी समस्याओं से नहीं जूझना पड़ता था !उन लोगों की हत्या या आत्महत्या जैसी तो सोच ही नहीं होती थी !कितने अच्छे होते थे वे लोग ! ऐसी परिस्थिति में हमें भी तनाव मुक्त रहने की सीख अपने पूर्वजों से अवश्य लेनी चाहिए उससे तनाव घटाने में मदद मिलेगी !उनके जीवन का एक सबसे बड़ा मंत्र था कि -

      "भाग्य से अधिक और समय से पहले किसी को कुछ मिलता नहीं है" इसी मंत्र के सहारे तनाव रहित होकर वे सुखपूर्वक जीवन जी लिया करते थे !    

      अपने पूर्वजों को इस बात पर बहुत विश्वास था वे इसे मानते भी थे इसका पालन भी करते थे इसलिए उन्हें तनाव नहीं होता था !क्योंकि जितना उनके भाग्य में बदा होता था वो उतनी ही आशाएँ पालते थे और उसी के अंदर रहकर ही जीवन जीने की योजनाएँ बना लिया करते थे !
      लक्ष्य को पाने के लिए जो लोग भाग्य को भूलकर केवल कर्म का सहारा लेते हैं ऐसे लोगों का भाग्य जहाँ तक साथ देता है वहीँ तक वे सफल हो पाते  हैं  उसके बाद उन्हें असफलता मिलनी शुरू होती है जिससे उनका तनाव बढ़ने लग जाता है !क्योंकि भाग्य ही रोड है और कर्म ही गाड़ी है ऐसी परिस्थिति में जहाँ जितना रोड या रास्ता होगा वहीँ तक तो गाड़ी चलाई जा सकती है रास्ते के बिना गाड़ी चलेगी कहाँ ? रोड अर्थात रास्ता न पता हो और गाड़ी चलती जा रही हो तो वह लक्ष्य पर कभी नहीं पहुँच सकती है चाहें जीवन भर क्यों न भटकती रहे इसी प्रकार से जिन्हें अपने भाग्य की सीमाएँ नहीं पता होती हैं उनमें से बहुत लोग आजीवन भटकते रहते हैं !ऐसे लोग पढ़ाई में विषय बदलते रहते हैं कमाई में व्यापार या नौकरी बदलते रहते हैं !वैवाहिक जीवन में विवाह या प्रेम संबंध बनाते और छोड़ते रहते हैं राजनीति में दल बदलते रहते हैं किंतु बेचारों को कहीं सुख नहीं मिलता है !
        कुल मिलाकर जीवन में भाग्य की सबसे बड़ी भूमिका होती है कोई व्यक्ति किस कार्य में सफल होगा या असफल यह उसका भाग्य तय करता है !कोई रोगी स्वस्थ होगा या अस्वस्थ रहेगा या उसका जीवन समाप्त होगा यह सब कुछ उसका भाग्य निश्चित करता है !आपके सभी कर्मों का परिणाम आपके भाग्य के अनुशार ही आपको मिलता है किंतु भाग्य का लाभ लेने के लिए कर्म करना बहुत आवश्यक है !टंकी में कितना भी पानी भरा हो किंतु नल की टूंटी खोले बिना पानी नहीं मिलता है !
        केवल  कर्म  के बल पर जो लोग सफलता पा लेना चाहते हैं ऐसे लोग भाग्य का साथ न पाकर असफल होकर निराश हताश तनावग्रस्त हो जाते हैं ऐसी परिस्थिति में कुछ निराश हताश लोग तो अपराधी तक होते देखे जाते हैं ऐसी परिस्थिति में हत्या आत्महत्या जैसी घटनाएँ भी घटित होते देखी जाती हैं !ऐसे लोगों को सोचना चाहिए कि सुख भाग्य से मिलता है जिसे कर्म से केवल स्वीकार किया जाता है ! बिचार किया जाना चाहिए कि किसी नल की टूंटी खोल लेने मात्र से जल नहीं पाया जा सकता है जल तो तन मिलेगा जब टंकी में होगा !टंकी में जल का होना ही भाग्य है और टूंटी खोलकर जल प्राप्त करना ही कर्म है !ऐसी परिस्थिति में भाग्य के बिना केवल कर्म के बलपर जीवन को तनाव रहित कैसे बनाया जा सकता है !
        विवाह शिक्षा संतान  व्यापार नौकरी राजनीति पद प्रतिष्ठा भवन ,वाहन आदि जितने भी प्रकार के और भी सुख हो सकते हैं वे सभी ईश्वरीय बैंक में जमा हैं !इसी बैंक में हमारा आपका सभी का अकाउंट है सभी ने अच्छे अच्छे पुण्य कार्य करके इसी बैंक में एफडियाँ बनवा रखी हैं जिनकी मैच्योरिटी का अपना अलग अलग समय है जब जिस प्रकार के सुख की एफडी मैच्योर हो जाती है तब उस व्यक्ति को उस प्रकार का सुख मिलने लगता है !जिसने जब जैसा पुण्य कार्य किया तभी वो जमा होगया और उसकी एफडी बन गई ! सभी प्रकार के सुखों की एफडियाँ चूँकि बनी भी तो अलग अलग समय में होंगी इसलिए मैच्योर भी अलग अलग समय पर ही होंगी !  ये एफडियाँ ही सबका अपना अपना बैलेंस है ये बैलेंश ही तो सबका अपना अपना भाग्य है !

    ऐसी  परिस्थिति में बैलेंश( भाग्य) से अधिक और समय(मैच्योरिटी) से पहले किसी को कोई सुख कैसे मिल सकता है !

       जिस प्रकार से आप किसी भी बैंक के कर्मचारी को आप अपना अकाउंट नंबर बताकर अपना बेलेंश चेक करवा  सकते हैं और अपनी एफडियों के मैच्योर होने का समय पूछ सकते हैं वो आपको चेक करके केवल बता सकता है किंतु आपके एकाउंट में बैलेंश बढ़ा नहीं सकता है !
       इसी प्रकार से आप किसी ज्योतिषी को अपना डेटऑफबर्थ  देकर अपना भाग्य और उससे प्राप्त होने वाले सुखों का समय पता कर सकते हैं कि कौन सा सुख किस वर्ष मिलेगा !किंतु वो ज्योतिषी अपने नाग नगीनों यंत्र तंत्र ताबीजों से आपका भाग्य बदल देगा इसकी आशा आपको नहीं करनी चाहिए !
       यदि आप समय से पहले और भाग्य से अधिक कोई सुख पा लेना चाहते हैं इस लोभ के कारण आप अनेकों प्रकार के संकटों में फँसा करते हैं जिसके लिए आप ज्योतिष शास्त्र एवं ज्योतिष विद्वानों को दोषी ठहराया करते हैं जबकि दोषी आपका अपना लोभ होता है जो भाग्य से अधिक और समय से पहले इच्छित सुखों को अपनी इच्छा के अनुशार प्राप्त कर लेने की भावना है !
      भाग्य के विषय में उदाहरण स्वरूप किसी के भाग्य में पति या पत्नी का सुख 60 प्रतिशत बदा होता है ! उसका विवाह उसकी योग्यता धन  बल या अन्य पदप्रतिष्ठा के आधार पर अपने से अधिक अच्छे वैवाहिक भाग्यवाले जीवनसाथी के साथ हो जाता है जिसके भाग्य में वैवाहिक सुख 90 प्रतिशत बदा है !ऐसी परिस्थिति में उसे 60 प्रतिशतवैवाहिक सुख तो अपने जीवन साथी से मिल ही जाएगा किंतु बाकी बचा 30 प्रतिशत वो जहाँ से प्राप्त किया जाएगा वहां तनाव होगा साथ ही उसके कारण अपना वैवाहिक जीवन भी तनाव में बीतेगा !
        इसी प्रकार से समय के विषय में उदाहरण है - समय के आधार पर किसी का विवाह यदि 25 वर्ष की उम्र में होना निश्चित  है तो 25 वर्ष की उम्र से पहले उसके जहाँ जो जिसके साथ प्रेम संबंध बनेंगे या विवाह होगा वो असफल होगा तनावप्रद होगा !
       वर्तमान समय में ज्योतिष शास्त्र से सम्बंधित पाखण्ड करने वालों की संख्या इतनी अधिक है कि ज्योतिष के वास्तविक विद्वानों को खोजपाना आसान काम नहीं है !टीवी चैनलों पर या वैसे ज्योतिष के विषय में बड़ी बड़ी बातें करने वाले लोगों से यदि पूछ दिया जाए कि आपने ज्योतिष सब्जेक्ट में कौन सी डिग्री सरकार के किस विश्वविद्यालय से किस सन में ली थी तो 99 से अधिक लोग या तो चुप होंगे या फिर झूठ बोलेंगे !ऐसी परिस्थिति में जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं है वो लोग दूसरों का भाग्य बताते ही नहीं अपितु भाग्य बदलते घूम रहे हैं !ये समाज का  सबसे बड़ा दुर्भाग्य है !प्राचीन काल में ज्योतिष के विद्वान् भी सदाचारी योग्य एवं सत्यवादी हुआ करते थे !उनके द्वारा दिया हुआ परामर्श सभी प्रकार के तनावों से मुक्ति दिला दिया करता था !
        किसी तनावग्रस्त स्त्री पुरुष के  भाग्य और और समय की जानकारी लिए बिना उसे दी गई काउंसलिंग भी असफल होती है क्योंकि किस समय व्यक्ति की सोच कैसी होगी और उसे किस समय किस प्रकार की बातों से सुख मिल सकता है इसका अंदाजा केवल भाग्य और समय के आधार पर ही लगाया जा सकता है !
       यदि आप अपने भाग्य को जानना चाहते हैं कि आपके भाग्य में किस प्रकार का सुख कितना बदा है और उसे पाने के लिए जीवन के किस वर्ष में प्रयास किया जाए ताकि सफलता मिले और किसी प्रकार का तनाव न हो !तो आप मेरे ईमेल पर अपना डेट ऑफ बर्थ भेज कर हमारे यहाँ से पता कर सकते हैं!कि आपके भाग्य में बदा  क्या है और वो मिलेगा जीवन के किस वर्ष में !उसके लिए आपको प्रयास किस प्रकार से करना होगा ?
        हमारे यहाँ से फ़ोन पर ही सही सलाह लेकर आप अपना तनाव घटा सकते हैं इसके लिए आपको हमारे ईमेल पर भेजना होगा अपना डेटऑफबर्थ और अपना जन्मसमय जन्मस्थान और अपने वे प्रश्न जिनके कारण आपको तनाव हो रहा है !

                                        -डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
                                         एम.ए.पीएचडी 'ज्योतिष '
                                                  द्वारा
                                         काशी हिंदू विश्व विद्यालय                                    

                                    हमारा ईमेल - This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.

Hits: 682