हिंदी केवल भाषा ही नहीं अपितु विज्ञान भी है !

Category: संबंध
Published: Tuesday, 18 September 2018
Written by Dr. Shesh Narayan Vajpayee

हिंदीविज्ञान को समझ लेने से समाप्त हो सकती हैं जीवन की बहुत बड़ी बड़ी समस्याएँ !

          
    सभी संबंधों के बनने बिगड़ने का पूर्वानुमान हिंदी भाषा के अक्षरों के द्वारा लगाया जा सकता है!संस्कृत और हिंदी भाषा के अतिरिक्त किसी अन्य भाषा में यह सुविधा संभव  नहीं है | संस्कृत सुता हिंदी भाषा होने के साथ साथ विज्ञान भी है इसके वर्णों का भगवान शंकर की डमरू के स्वरों से प्रादुर्भाव हुआ था इसलिए प्रत्येकवर्ण प्राण प्रतिष्ठित एवं सजीव है  |
     हिंदीविज्ञान में प्रत्येक अक्षर का अलग अलग स्वभाव एवं प्रभाव होता है ! जिस व्यक्ति आदि का नाम जिस अक्षर से प्रारंभ होता है उस व्यक्ति का स्वभाव उस अक्षर की तरह ही बन जाता है !ऐसी परिस्थिति में जिस व्यक्ति से भी जिस स्त्री पुरुष का कोई भी कैसा भी संबंध बन चुका हो या बनना हो वो निभ पाएगा या नहीं और नहीं तो क्यों ? कोई संबंध निर्वाह करना आवश्यक ही हो तो इस बात का भी पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि ऐसे संबंधों को चलाने के लिए किसको

Read more: हिंदी केवल भाषा ही नहीं अपितु विज्ञान भी है !