रामदेव की 'कोरोनिल' का न तो 'कोरोना' से कोई संबंध है और न ही आयुर्वेद से !जानिए कैसे ?

Category: स्वास्थ्य Published: Wednesday, 01 July 2020 Written by Dr. Shesh Narayan Vajpayee

    बाबा रामदेव जी !'कोरोनिल' क्या वास्तव में आयुर्वेदिक औषधि है ?यदि हाँ तो आप भी क्या उसी असली वाले आयुर्वेद को मानते हैं या आपके पाँच सौ वैज्ञानिकों ने रिसर्च कर कर के कोई नया आयुर्वेद पैदा कर लिया है ?
       यदि उसी असली वाले  आयुर्वेद को ही आप भी मानते हैं तो बता दीजिए कि आयुर्वेद के किस ग्रंथ के किस अध्याय के किस सूत्र या श्लोक में कोरोना महामारी की चर्चा मिलती है ?
      दूसरी बात आयुर्वेद में कहाँ पर लिखा है कि कोरोना महामारी से संक्रमित रोगियों में कौन कौन से लक्षण होते हैं ? जो किसी

रोगी में दिखाई पड़ें तो उसे कोरोना संक्रमित मान लिया जाना चाहिए और जब वो लक्षण दिखाई पड़ने बंद हो जाएँ तो उस रोगी को कोरोना संक्रमण से मुक्त मान लिया जाना चाहिए !
      तीसरी बात आयुर्वेद के किस ग्रंथ के किस अध्याय के किस सूत्र या श्लोक में कोरोना महामारी कीऔषधियों की चर्चा मिलती है कि यदि कोई कोरोना जैसी महामारी से संक्रमित हो जाए तो उसे किन किन जड़ी बूटियों से बनी औषधियाँ लेनी चाहिए ?
   चौथी बात यदि आयुर्वेद के किसी ग्रंथ में कोरोना महामारी की चर्चा नहीं मिलती है कोरोना महामारी के लक्षण नहीं मिलते हैं और कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाने वाली जड़ी बूटियों औषधियों की चर्चा नहीं मिलती है तो आपके द्वारा बनाई गई 'कोरोनिल' का असली आयुर्वेद से संबंध ही क्या है और वो सिद्ध कैसे होता है ?
    पाँचवी बात एलोपैथ और आयुर्वैदिक औषधियों में तुलसी गिलोय असगंध और काकड़ा सिंघी का प्रयोग कर लेने से आपके हिसाब से क्या यह औषधि आयुर्वैदिक हो जाएगी !यदि हाँ तो अनेकों जड़ी बूटियों का उपयोग तो एलोपैथिक  और होम्योपैथिक प्रक्रिया से बनाई जाने वाली औषधियों में भी किया जाता है तो आपकी  'कोरोनिल'  के हिसाब से तो उन्हें भी आयुर्वैदिक औषधि मान लिया  जाना चाहिए क्या ?आखिर आयुर्वैदिक दवा होने का पैमाना क्या है ?
     रामदेव जी ! आपकी दृष्टि में आयुर्वैदिक औषधि किसे कहा जा सकता है ? जिसे बाबा रामदेव ने बनाई हो या जिसमें जड़ी बूटियों का उपयोग किया गया हो या फिर जिसे किसी रोग से मुक्ति दिलाने के लिए आयुर्वेदिक ग्रंथों में बताई गई जड़ीबूटियों का उपयोग करके आयुर्वेद में वर्णित पद्धति से बनाई गई हो ?इस हिसाब से आपकी कोरोनिल कहाँ ठहरती है ?
     बाबा जी ! तुलसी गिलोय और अश्वगंध जैसी औषधियों का उपयोग भारतीय परंपरा में सर्दी जुकाम खाँसी आदि से मुक्ति दिलाने के लिए हजारों वर्षों से किया जाता रहा है उनके इन गुणों से अधिकाँश भारतीय समाज सुपरिचित है इसीलिए हमेंशा से इनका उपयोग किया जाता रहा है अभी भी अधिकाँश लोग ऐसी औषधियों का उपयोग करते आ रहे हैं | इसमें आपके रिसर्च करने वाले उन पाँच सौ वैज्ञानिकों ने  रिसर्च करके इसमें नया गुण कौन सा खोजा  है ?
     आयुर्वेद के शीर्ष ग्रंथ चरक संहिता में महामारियों के प्रारंभ होने से पूर्व उनके पूर्वानुमान लगाने की विधि बताई गई है उसी समय औषधि बनाकर रख लेने की विधि बताई गई है और साथ ही यह भी कहा गया है कि महामारी प्रारंभ होने से पहले जो औषधियाँ बनाई जाएँगी केवल वही लाभकारी सिद्ध होंगी बाक़ी नहीं |
      ऐसी परिस्थिति में आप और आपके बालकृष्ण क्या इस महामारी का पूर्वानुमान लगा पाए थे यदि हाँ तो सबको बताया क्यों नहीं यदि नहीं तो अब उछलकूद करने का उद्देश्य क्या है ?वैसे भी जब बिना किसी औषधीय चिकित्सा के भी कोरोना संक्रमितों की रिकबरी 60 के आसपास पहुँच चुकी है तब आप भी बहते पानी में हाथ धो लेने पर उतारू हैं |
     बाबा रामदेव जी ! आपने ने कहा कि कोरोनिल के काम पर आयुष मंत्रालय ने हमारे प्रयासों को सराहा है.किंतु आपके प्रयास  भी तो पता लगने चाहिए कि आपके द्वारा प्रयास क्या किए गए हैं ?
     बाबा रामदेव जी !आपने ने कहा कि "ऐसे लगता है कि हिंदुस्तान के अंदर आयुर्वेद का काम करना गुनाह हो" लेकिन .आपके आयुर्वेद पर किए किए गए प्रयासों को सम्मान मिला किंतु आयुर्वेद के नाम पर आपका सबकुछ सहना संभव नहीं है | आयुर्वेद के बिषय में आपके झूठ को कोई क्यों सह ले किसी से ऐसी अपेक्षा ही क्यों ?
     बाबा जी !आपने कहा कि "यह एक साम्राज्यवादी सोच है कि कैसे एक भगवा धारण करने वाला रिसर्च कर सकता है !"किंतु ऐसा तो तब होगा जब कोई रिसर्च करेगा किंतु इसमें आपका रिसर्च है क्या ?बताइए तो !
    बाबा रामदेव जी ! आपने कहा कि "कोरोनिल विवाद के पीछे ड्रग माफिया का हाथ है " किंतु बाबा जी ! इसमें ड्रग माफिया कहाँ से आ गया और आकर भी वो क्या कर लेगा !यदि आपमें सच्चाई होगी !यदि आप ही अपनी दवा की विशेषता नहीं  बता पाएँगे तो  दूसरे को दोष देना बेकार है |
      आपने कहा कि "हमारा उद्देश्य अपना कारोबार बढ़ाना न तो पहले था और न कभी रहेगा। हमने तो केवल देश को रोग मुक्त बनाने की मुहिम शुरू की थी, उस पर आज भी कायम है "किंतु आपके उन प्रयासों का परिणाम क्या निकला यही न कि "कोरोना जैसी इतनी बड़ी महामारी !
    याद कीजिए "आप जैसे लोगों की बातों पर जब लोग इतना विश्वास नहीं किया करते थे !आपकी दवाएँ नहीं लेते थे तथा आपकी राशन सामग्री खरीद कर नहीं खाते थे तब उन्हें कोरोना जैसी इतनी बड़ी महामारी का भय भी नहीं था |
       आप जैसे लोगों के ग्राहक अधिकतर सक्षम लोग होते  हैं कोरोना का संक्रमण भी सक्षम लोगों में ही अधिक बढ़ा है | दिल्ली मुंबई से लाखों मजदूरों का पलायन हुआ जहाँ किसी प्रकार की सामाजिक दूरी बनाने का प्रयास नहीं किया जा सका सब एक दूसरे का छुआ खाना खाते रहे पानी पीते रहे !एक एक फैक्ट्री घर कमरे में या घनी बस्तियों में भीड़ की भीड़ रहती रही किंतु उनमें कोरोना कितने प्रतिशत लोगों को हुआ? वे सब अभी भी स्वस्थ हैं गाँव घूम आए अब फिर दिल्ली मुंबई के लिए रवाना होने लगे हैं |
    दूसरी ओर जिन्होंने आपकी निराधार बातें मानीं आपकी मनगढंत दवाएँ खाईं आपका हल्के स्तर का राशन खाया | वे सामाजिक दूरी बनाने के लिए घरों में घुसे पड़े हैं तीन महीन बीत गए किसी के यहाँ गए नहीं किसी को अपने पास बुलाया नहीं फिर भी उन्हें कोरोना हो रहा है क्यों ?ऐसे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो रही है आप अपने रिसर्च के नामपर जो मन आता है सो खाने की सलाह देने लगते हो !उसका दुष्परिणाम महामारी के रूप में आज भोग रहा है समाज |
      पहले आपने योग के नाम पर व्यायाम करना सिखाया और कहा इससे रोग दूर होंगे किंतु आपके व्यायाम जब दिए गए आश्वासन पूर्ण करने में असफल हुए तो आपने कहा हमारी दवाएँ खाओ उससे स्वस्थ हो जाओगे लोगों ने वह करना शुरू किया फिर भी स्वस्थ नहीं हुए तो आपने कहा कि हमारा राशन खाओ फिर स्वस्थ हो जाओगे !उसके बाद स्वस्थ होना तो दूर आज इतनी बड़ी महामारी भोगने पर मजबूर हैं लोग !
     इसलिए अब लोग आपकी बातों दावों पर तर्क करने लगे हैं प्रश्न करते हैं तो आपको लगता है उन्हें ड्रगमाफिया बताकर उनका मुख बंद कर देंगे किंतु सही बात कहना अपराध है क्या और यदि आप में सच्चाई है तो सत्य बोलने से डरते क्यों हैं ?खुली बहस कर लें सच्चाई सामने आ जाएगी | इसमें बुरा मानने वाली बात ही क्या है ?

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