चिकित्सा में समय की बहुत बड़ी भूमिका है !
किसी का समय ठीक हो तो कम चिकित्सा या बिना चिकित्सा के भी बड़े बड़े रोग भाग जाते हैं !समय साथ देता है तो ग्रामीण किसान मजदूर एवं जंगल में रहने वाले आदिवासी भी स्वस्थ रह लेते हैं बिना कोई टिका लगे हुए भी उनके बच्चे स्वस्थ सुदृढ़ एवं निरोग रह लेते हैं !समय साथ न दे तो बड़े बड़े राजा महाराजा सेठ साहूकार मंत्री आदी सारे साधन होने के बाद भी रोगी होते और मरते देखे जाते हैं !इससे ये सिद्ध हो जाता है कि चिकित्सा बहुत कुछ है लेकिन सबकुछ नहीं है !स्वस्थ रहने के लिए समय और चिकित्सादोनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है !किसी का समय जब ख़राब होता है तब उसे कोई रोग होता है या किसी के साथ कोई शारीरिक दुर्घटना तभी घटित होती है जब उसका समय ख़राब होता है !जब तक किसी का समय ख़राब रहता है तब तक उस रोगी को अच्छे डॉक्टरों के विषय में पता नहीं होता है जब उनके विषय में पता होता है तब उनसे मुलाकात करना बड़ा कठिन हो जाता है जब वो मिल पाते हैं तो उन्हें रोग समझ में नहीं आता है जब वे रोग समझ पाते हैं तब वो जो दवा लिखते हैं वो या तो मिलती नहीं है और यदि मिल भी गई तो उस रोगी पर असर नहीं करती है !दवा के लाभ न करने पर डॉक्टर लोग दवाएँ बदलते रहते हैं !जबकि रोगी लोग चिकित्सक बदलते रहते हैं !स्वदेश से लेकर विदेश तक चिकित्सा करवाते करवाते जब उतना समय बिता लेते हैं जितना बुरा होता है !उसके बाद उस रोगी के स्वस्थ होने का जब समय आ चुका होता है उस समय ऐसे स्वस्थ होने लायक रोगियों की औषधी स्वयं उनका अपना समय ही बन जाता है !और वह स्वयं ही स्वस्थ होने लगते हैं !
ऐसी स्वस्थ होने की प्रक्रिया प्रारंभ होते समय वे जो कुछ भी खा पी रहे होते हैं जो औषधि ले रहे होते हैं जिस चिकित्सक की दवा ले रहे होते हैं जो यंत्र मन्त्र तंत्र झाड़ फूँक जादू टोना आदि उपाय कर रहे होते हैं वो सभी रोगी के स्वस्थ होने के उपाय मान लिए जाते हैं !जबकि चिकित्सा के साथ साथ समय ने भी साथ दिया तब वे स्वस्थ हुए !ऐसी बातों का स्पष्ट अनुभव तब हो पाता है जब सुदूर गाँवों में गरीबों के यहाँ जंगलों में आदि वासियों के यहाँ जहाँ चिकित्सा सुविधा हैं ही नहीं स्वस्थ तो वो लोग भी हो जाते हैं अन्यथा यदि स्वस्थ रहने का कारण केवल चिकित्सा ही होती तब तो चिकित्सा सुविधाओं से बिहीन लोग जीवित ही कैसे रह पाते !किंतु जान संख्या तो उनकी भी दिनों दिन बढ़ती जा रही है ये इस बात का प्रमाण है कि बिना चिकित्सा के भी वे लोग स्वस्थ हो जाया करते हैं !उनके यहाँ टीका कारण भी नहीं हो पाता है फिर भी वे न केवल स्वस्थ रहते हैं अपितु अत्यंत बलवान एवं परिश्रमी भी होते हैं !
दूसरी ओर चिकित्सा की सभी सुविधाओं से युक्त लोग भी ख़राब समय के प्रभाव से अस्वस्थ रहते एवं मरते देखे जाते हैं !
यहाँ तक कि डेंगू जैसे समयजन्य रोग भी तो उन्हीं लोगों को होते हैं उस समय जिनका अपना समय बुरा चल रहा होता है !यदि ऐसा न होता तो उन्हीं क्षेत्रों में और लोग भी तो रहते हैं ऐसेरोग सभी को तो नहीं हो जाते हैं !
गाँवों में जंगलों में रहने वाले काम करने वाले किसान आदिवासी आदि लोग दिन रात मच्छरों के बीच ही रहते उठते बैठते सोते जागते हैं तो दूसरी ओर शहरों में अत्यंत सुरक्षित स्थानों पर रहने वाले लोग जिनका दर्शन भी मच्छरों के लिए दुर्लभ होता है उन्हें भी डेंगू आदि रोग होते देखे जाते हैं !
इसलिए किसी को बीमारियों के होने न होने का कारण सबका अपना अपना समय होता है !यही कारण है कि समय विज्ञान के द्वारा किसी के स्वस्थ या अस्वस्थ होने के समय का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !हमारे यहाँ से बहुत लोग ऐसी स्वास्थ्य पूर्वानुमान सेवाओं का लाभ ले रहे हैं !
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