सैन्यविज्ञान की दृष्टि से 'समय' की भूमिका !
सैन्यविज्ञान और 'समय'!
युद्ध का एक बड़ा कारण शक्ति शून्यता होती है कमजोर लोगों पर राज करने के लिए शक्तिशालियों ने हमेंशा से अत्याचार किया है। अतएव सुरक्षा के लिए न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता हेतु शक्ति संतुलन आवश्यक है।सुरक्षा और स्वरक्षा सैन्य जीवन की दो भुजाएँ हैं |देश और समाज की सुरक्षा सुरक्षितसैनिक ही कर सकते हैं | यदि सैनिक ही सुरक्षित नहीं होंगे वे देश और समाज की सुरक्षा कैसे कर सकेंगे !स्वस्थ और प्रसन्न सैनिकों को देखने मात्र से ही शत्रुओं का मनोबल टूट जाता है और ऐसा होते ही अपने सैनिकों का उत्साह बढ़ जाता है युद्धरत सैनिकों के लिए ये बहुत बड़ा बल है |
किसी सैनिक के स्वस्थ और प्रसन्न रहने का कारण उसका अपना व्यक्तिगत समय होता है जब किसी का अपना समय अच्छा चल रहा होता है तब उसका शरीर स्वस्थ तथा बलवान होता है उसका मन प्रसन्न होता है उस पर सभी सहयोगी ,सगे, संबंधी आदि विश्वास कर पाते हैं उसकी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं | ऐसे चिंतारहित उत्साह संपन्न सैनिक युद्ध के लिए उपयुक्त होते हैं ऐसे सैनिकों की तैनाती यदि दुर्गम क्षेत्रों में भी हो जाती है तो वे अपने अच्छे समय के प्रभाव से वहाँ भी न केवल प्रसन्न रह लेते हैं अपितु कठिन से कठिन युद्ध जीतते देखे जाते हैं |दूसरों की अपेक्षा इनकी क्षति भी कम होती है ऐसे सैनिकों की शौर्य भावना से शत्रु भी प्रभावित होता है |
इसी प्रकार से सामूहिक समय जब अच्छा चल रहा होता है तब सभी जगह सुख शांति का वातावरण होता है ऐसे समय में किसी भी क्षेत्र में युद्ध की संभावना अत्यंत कम होती है अच्छे समय में सभी लोग एक दूसरे के साथ प्रेमपूर्ण वर्ताव करते देखे जाते हैं अच्छे समय के कारण ही सभी देशों के दूसरे देशों से स्नेह पूर्ण संबंध होते हैं |
जिस प्रकार से अच्छे समय में सभी कुछ अच्छा होता है उसी प्रकार से बुरे समय में सभी कुछ बुरा घटित होने लगता है |दो व्यक्तियों अथवा दो देशों के आपसी संबंधों में कभी मित्रता और कभी शत्रुता होने का करना समय ही होता है | बाकी सभी परिस्थितियाँ एक जैसी बने रहने पर भी केवल समय ही बदलता रहता है अच्छे समय में उन दोनों की मित्रता हो जाती है और बुरे समय में उनदोनों की शत्रुता हो जाती है | किसी के किसी से संबंध बनने बिगड़ने का मुख्यकारण समय होता है |
बुरे समय के प्रभाव से किसी क्षेत्र में सूखा बाढ़ आँधी तूफ़ान भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाएँ घटित होती हैं महामारी आदि सामूहिक रोग फैलने लगते हैं |सामाजिक तनाव तैयार होता है किसी छोटे से कारण के लिए बहुत बड़े बड़े दंगे हो जाए हैं | किन्हीं दो देशों के बीच तनाव का छोटा सा कारण भी विपरीत समय के प्रभाव से युद्ध का स्वरूप धारण कर लेता है| ऐसे समय के प्रभाव से लोगों का आपस में भी एकदूसरे पर से विश्वास उठने लग जाता है इसलिए लोग आपस में ही एक दूसरे के ऊपर शंका करने लग जाते हैं जो संगठन भावना के लिए अच्छा नहीं है | क्योंकि सेना के क्षेत्र में संगठन का बहुत महत्त्व है और किसी भी संगठन को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए उसके अंदर एक दूसरे के प्रति विश्वास का वातावरण बनाए रखना सबसे अधिक आवश्यक होता है |
ऐसी परिस्थिति में किसी क्षेत्र में बुरा समय कब आ रहा है इस बात का पूर्वानुमान सैनिकों को पता होना चाहिए ताकि वे सतर्कता साहस सहनशीलता पूर्वक संगठित भावना से बुरे समय का सामना कर सकें एवं ऐसे समय में अपने को एवं अपने सेनासंगठन को सँभाल कर रख सकें |
यही बुरा समय जब किसी व्यक्ति के अपने जीवन में आता है तो उस व्यक्ति को शारीरिक रोग और मानसिक तनाव बढ़ने लगता है जो किसी भी सीमा तक जा सकता है ऐसे समय पीड़ित लोग युद्ध क्षेत्र में या संदिग्ध स्थानों पर तैनात किए जाने योग्य नहीं होते हैं समय पीड़ित होने के कारण उनके साथ कभी भी कोई हादसा होने की संभावना बनी रहती है ऐसे लोगों के अपने बुरे समय का प्रभाव उनके द्वारा लड़े जाने वाले युद्धों के परिणामों पर उसी अनुपात में पड़ता है जिस अनुपात में उस युद्ध में सम्मिलित ऐसे समय पीड़ित सैनिकों की संख्या होती है |
इसलिए प्रत्येक सैनिक को सामूहिक समय एवं उसके अपने व्यक्तिगत समय के विषय में न केवल जानकारी होनी चाहिए अपितु पूर्वानुमान भी पता होना चाहिए कि भविष्य में कब कैसा समय आने वाला है उसके कारण हमें कब कैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है |
समय के प्रभाव के विषय में मैं पिछले लगभग 25 वर्षों से अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ उसके आधार पर इस बात को समझ पाना
संभव हो सका है कि प्रकृति समाज और जीवन को समय बहुत अधिक प्रभावित करता है यहाँ तक कि मनुष्यों के द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के परिणाम बदल देता है !सुयोग्य चिकित्सकों के द्वारा रोगियों के बचाव के लिए किए जाने वाले चिकित्सकीय प्रयासों के परिणाम बदल देता है |जिनका समय अच्छा होता है उन्हीं की मदद सरकार समाज या सगे संबंधी आदि कर पाते हैं |
बुरे समय में श्री राम लक्ष्मण आदि को बनवास मिला पिता जी का मरण और सीता हरण हुआ अपने सगे संबंधियों का साथ छूट गया बिल्कुल अकेले पड़ गए थे ,इसके दस महीने बाद समय बदला तो वानरों ने भी मदद की और बिना संसाधनों के भी समय का साथ पाकर लंका जैसे विशाल राज्य को जीत लिया सीताजी भी मिल गईं और अयोध्या का राज्य भी मिल गया | महाभारत काल में भी यही हुआ था और उसके बाद के युद्धों में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिलता रहा है |वर्तमान समय में भी यही होते देखा जा रहा है |