'हथिया नक्षत्र' के कारण नहीं आई है बिहार में बाढ़ ! जानिए क्यों ?

Category: मौसम Published: Tuesday, 01 October 2019 Written by Dr. Shesh Narayan Vajpayee

     बिहार में हुई भीषण बारिश एवं बाढ़ के लिए बिहार के मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने ‘‘हथिया नक्षत्र ''  के प्रभाव को जिम्मेदार बताया है |उन्होंने कहा है -"हथिया नक्षत्र में कभी कभी बहुत भयंकर बारिश होती है |" ऐसी परिस्थिति में प्रश्न उठता है कि क्या वास्तव में हथिया नक्षत्र के कारण ही बिहार में भीषण बारिश हुई है या इसका कारण कुछ और ही है |
       मैं पिछले लगभग 25 वर्षों से वैदिक विज्ञान के  आधार पर मौसम विज्ञान से संबंधित विषयों पर अनुसंधान करता आ रहा हूँ !जिसके आधार

पर प्रत्येक महीना प्रारंभ होने से पूर्व अगले महीने से संबंधित मौसम संबंधी पूर्वानुमान विभिन्न पत्रकारों मंत्रियों के जीमेल पर भेजता रहता हूँ |
        सितंबर 2019 के मौसमसंबंधी पूर्वानुमान में मैंने 28 सितंबर तक मानसून रहने की बात लिखी है और तभी तक बिहार में अधिक बारिश हुई भी है !इसके बाद वैदिकविज्ञान की दृष्टि से मानसून से संबंधित अधिक बारिश की संभावना पूर्णतः समाप्त हो चुकी है !अब आगे हमेंशा की तरह ही जब तब सामान्य बारिश होगी जो कृषि कार्यों के लिए उपयोगी  होगी !उससे किसी प्रकार की अतिवर्षा या बाढ़ संबंधी आशंका नहीं की जानी चाहिए |
         बिहार में हुई इस भयंकर बारिश और बाढ़ के लिए हथियानक्षत्र अधिक दोषी नहीं है क्योंकि इस नक्षत्र में हुई बारिश फसलों में अमृत का काम करती है इसलिए इतनी बड़ी बाढ़ जैसी आपदा के लिए हथिया नक्षत्र को कारण नहीं माना जा सकता है| वैसे भी हथिया नक्षत्र तो इसी समय प्रतिवर्ष आता है किंतु प्रतिवर्ष तो ऐसी भयंकर बारिश नहीं होती है कि इतनी भीषण बाढ़ आ जाए | इसलिए इस बाढ़ के लिए हथियानक्षत्र को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है| वैसे भी हथिया नक्षत्र तो 28 सितंबर से 11अक्टूबर तक रहेगा !इसका मतलब ये नहीं है कि वर्षा तब तक होती रहेगी |
          वैदिकविज्ञान की दृष्टि से प्रकृति में जब कोई एक घटना घटित हो रही होती है तो वो अपने साथ या अपने बाद किसी दूसरी घटना के घटित होने की भी सूचना दे रही होती है| इसी क्रम में अभी हाल ही में नेपाल में दो भूकंप आए इस भीषण बारिश एवं वर्षा पर उसका अधिक असर पड़ा है |यदि ऐसा न हुआ होता तो वर्षा अपने क्रम से जैसे पीछे से चली आ रही थी वैसे ही आगे तक भी चलती रहती किंतु भूकंपों के द्वारा नेपाल के इन दोनों भूकंपों ने भारत में मौसम संबंधी तारतम्य को बिगाड़ दिया है |उससे बादलों ने नेपाल के हिस्से का पानी भी भारत में ही बरस दिया है जिससे यहाँ वर्षा की मात्रा दो गुनी हो गई और भारत के बिहार जैसे कुछ प्रांतों में वर्षा एवं बाढ़ की मात्रा दो गुनी हो गई जिसकारण बिहार एवं पूर्वी उत्तरप्रदेश में वर्षा एवं बाढ़ अधिक बढ़ गई |
           नेपाल में 26 सितंबर को 6.34 बजे शाम को 4.4 तीव्रता का भूकंप आया|ऐसे ही 28 सितंबर को प्रातः10.30 बजे 4.1 तीव्रता का भूकंप आया था |
            इन दोनों भूकंपों के वर्षा अवरोधक प्रभाव के कारण अधिक बरसने वाले बादलों का प्रवेश नेपाल में नहीं हो पाया और वे उन भूकंपों के केंद्रों के आसपास भारत में ही बरसते रहे | उन भूकंप केंद्रों से पूर्वीउत्तर प्रदेश और बिहार प्रांत लगभग समान दूरी पर थे इसलिए ये दोनों ही प्रदेश बाढ़ से लगभग एक समान ही बाढ़ पीड़ित हुए हैं | बिहार में इसका असर विशेष अधिक दिखने का कारण वहाँ की भौगोलिक स्थिति भी कुछ कारण बनी है |
            यदि ये दोनों भूकंप नहीं होते तो केवल हथियानक्षत्र के प्रभाव से इतनी भीषण वर्षा एवं बाढ़ का होना संभव नहीं था |

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