मौसमविज्ञानविभाग तो मूर्ख बनाया करता है समाज और सरकार को !

Category: Forcasting (Weather) Published: Monday, 19 November 2018 Written by Dr. Shesh Narayan Vajpayee

मौसम भविष्यवाणी बताने के नाम पर केवल झूठ ही तो बोला करता है मौसम

विभाग !

         आधुनिक विज्ञान के पास किसी भी विषय से संबंधित पूर्वानुमान का पता लगाने का कोई आधार ही नहीं हैं तो वे बेचारे बतावें कैसे !मौसम के विषय में जो वो तीर तुक्के लगाने की कोशिश भी करते हैं वो लोगों को मूर्ख बनाने से ज्यादा कुछ भी यहीं है !जहाँ बादल उठे हुए देखते हैं और उन्हें

जिधर उड़कर जितनी स्पीड में जाते देखते हैं उसी दिशा में पड़ने वाले शहरों में वर्षा होगी ऐसा शोर मचाने लगते हैं !बादल उड़ गई तो इनकी भविष्यवाणी भी उड़ जाती है !जहाँ वर्षा होने लगती है वहाँ  24,48,या 72 आगे तक बरसने की भविष्यवाणियाँ करने लग  जाते हैं किंतु इसके बीच में ही जब वर्षा बंद होकर धूप  निकल आती है तो धूप होने की भविष्यवाणियाँ करने लगते हैं! जिधर तेज हवाएँ चलती देख लेते हैं उधर आँधी तूफान की भविष्यवाणियाँ करने लगते हैं! जब वायु प्रदूषण बढ़ता है तो दो दो दिन आगे बढ़ाकर भविष्यवाणियाँ करते चले जाते हैं !भूकंप आ जाता है तो कहने लगते हैं अभी और झटके लगते रहेंगे खुले पार्कों मैदानों में आने की सलाह देने लगते हैं !जब कोई तगड़ा झूठ बोलकर फँस जाते हैं और सरकार की भद्द जब बहुत अधिक पिटने लगती है तो जलवायु परिवर्तन की मनगढंत कहानी लेकर बैठ जाते हैं !जब वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि कुछ भी नहीं होता है ये लोग खाली बैठे होते हैं सरकार मान लेती है कि अब ये रिसर्च कर रहे होंगे जबकि ये तो कोई नए प्रकार का झूठ बोलने का रिसर्च कर रहे होते हैं कुछ कुछ समय बाद कोई न कोई सगूफा छोड़ते रहते हैं !मौसम वैज्ञानिकों के बश का यदि रिसर्च करना ही होता तो वर्षा बाढ़ आदि प्राकृतिक विषयों में कोई न कोई तो सच्चाई खोज कर कर लाते !मौसम के किसी पक्ष पर इनका रिसर्च आजतक एक तिलभर भी तो आगे नहीं बढ़ पाया है जिसे मौसम वैज्ञानिक प्रूफ करने की हैसियत रखते हों !जब कोई इनसे कुछ करने को कहा देता है तो मौसम वाले सुपर कंप्यूटर माँगने लगते हैं और भूकंप वाले कोई गड्ढा खोदने या उसमें मिटटी भरने लग जाते हैं !इन झूठों पर सरकार यदि यूँ ही भरोसा करती रही तो ये अपनी अयोग्यता छिपाने के लिए गाँव गाँव और घर घर में राडार लगाने की माँग करेंगे !यही तो दुर्भाग्य है इस देश का जो काम करना चाहते हैं सरकार को उनकी पहचान नहीं है और उनके लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं और जो काम नहीं करना चाहते हैं या जो काम करना जिनके बैश का ही नहीं है उनके ऊपर सरकार धन उड़ेले जा रही है !


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