'ऑडइवन' जरूरी या सरकारों की मजबूरी ! सरकारें आखिर क्या करें ?

Category: Forcasting (Weather) Published: Friday, 15 November 2019 Written by Dr. Shesh Narayan Vajpayee

                                        वायुप्रदूषण 17 नवंबर से कम होगा !जानिए क्यों ?

        वायु प्रदूषण बढ़ने पर सरकारों को  कुछ करते तो दिखना होता है अन्यथा यही होगा वायुप्रदूषण को कम करने के लिए सरकारों ने किया क्या ?किंतु इतना सच है कि वायु प्रदूषण का  पूर्वानुमान लगाने में या वायु प्रदूषण बढ़ने का कारण क्या है इसे खोज पाने में वैज्ञानिक पूरी तरह असफल रहे है |पूर्वानुमानों के नाम पर वायुप्रदूषण बढ़ने जैसी सभी प्रकार की मौसम संबंधी घटनाओं में वे वैसी ही आशंका व्यक्त किया करते हैं जैसी आशंकाएँ कोई अजनवी व्यक्ति किया करता है | ऐसी बातें बताने में  विज्ञान क्या है और इसमें  अनुसंधान क्या है ?  सरकारें जिनपर भारी भरकम धनराशि खर्च करती हैं उनके द्वारा किए जाने वाले अनुसंधानों पर भारी भरकम धन खर्च करती हैं आखिर ढुलमुल भविष्यवाणियों के अतिरिक्त उनका जनहित में और दूसरा क्या योगदान है ?      

          वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए वे मौसम वैज्ञानिक जिम्मेदार हैं जो आजतक वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार वास्तविक कारण नहीं खोज पाए दूसरी बात वायु प्रदूषण संबंधी पूर्वानुमान नहीं खोज पाए कि किन किन तारीखों में वायु प्रदूषण बढ़ता है | ऐसी परिस्थिति में वायु प्रदूषण घटाने के लिए प्रदेश सरकारें आखिर क्या करें ?  मौसमवैज्ञानिकों ने जहाँ जहाँ से धुआँ धूल आदि उड़ते देखा उसे ही जिम्मेदार बता दिया इनमें विज्ञान कहाँ है और अनुसंधान क्या है | अनुसंधान के लिए जिम्मेदार लोगों ने केवल आशंका के आधार पर दिवाली पराली वाहनों उद्योगों निर्माण कार्यों आदि से उड़ने वाले धुआँ धूल में उलझा रखा है समाज को |
           मैंने दिवाली पराली वाहनों उद्योगों निर्माण कार्यों से उड़ने वाले धुआँ धूल  आदि को सम्मिलित किए बिना ही वायु प्रदूषण का पूर्वानुमान लगाने की एक नई तकनीक खोजी है जिसके आधार पर वायु प्रदूषण से संबंधित पूर्वानुमान सही निकलते हैं ?ऐसी परिस्थिति में ऑडइवन जैसी प्रक्रियाओं से कैसे कम हो जाएगा वायु प्रदूषण ?
          मैंने 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं कुछ अन्य मुख्यमंत्रियों पत्रकारों समाज सुधारकों के यहाँ मेल भेजा था जिसमें भविष्यवाणी की थी कि 13 से 16 नवंबर के बीच वायु प्रदूषण बढ़कर 400 से 500 के बीच पहुँचेगा  और आज पहुँच गया है 13 नवंबर से ही बढ़ा है और 16 तक ही रहेगा इसके बाद कम होना शुरू हो जाएगा |
            ऐसी परिस्थिति में दीवाली के पटाखे, पराली जलाने या वाहनों से निकलने वाले धुएँ को वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए कैसे और कितना दोषी माना जा सकता है !क्योंकि यदि ये सच होते तो 31 अक्टूबर को मेरे द्वारा की गई भविष्यवाणी सच नहीं होती वह |

आप स्वयं देखिए वह जीमेल जो 31 अक्टूबर को भेजा गया था -


   "वायुप्रदूषण बढ़ने घटने का वैदिक पूर्वानुमान :नवंबर -2019

Dr.Shesh Narayan Vajpayee <This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.>
31 अक्तू॰ 2019, 7:43 pm
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      पिछले महीने से बढ़ा हुआ चला आ रहा वायुप्रदूषण 2 नवंबर से कम होना प्रारंभ हो जाएगा किंतु बहुत अधिक कम होने की आशा नहीं की जानी चाहिए |4 से 10 नवंबर के बीच वायु प्रदूषण में मध्यमस्तरीय वृद्धि होगी इस समय वायु प्रदूषण 300 के आस पास रहेगा |13,14,15,16 तारीख के बीच वायु प्रदूषण 400 के मानक को पार कर जाएगा अर्थात 400 से 500 सौ के बीच रहेगा  इसके बाद 17 से 22 नवंबर के बीच 300 से 350 तक वायु प्रदूषण सीमित रहेगा | नवंबर मास की 27,28,29,30  तारीखों में वायुप्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाएगा इस समय में बढ़ा हुआ वायु प्रदूषण नवंबर महीने में सबसे अधिक होगा यह 500 के निर्धारित मानक को पार करते हुए खतरनाक स्थिति में पहुँच जाएगा |
   विशेषबात - जिन क्षेत्रों में जब वर्षा आँधी आदि घटनाएँ घटित हो रही होंगी वहाँ पर वायुप्रदूषण इस भविष्यवाणी के अनुशार उस अनुपात में नहीं बढ़ेगा !दूसरी बात जिन क्षेत्रों में मनुष्यकृत वायुप्रदूषण की मात्रा कम होगी वहाँ इस भविष्यवाणी के अनुशार वायु प्रदूषण बढ़ने के समय पर बढ़ेगा तो किंतु अन्य स्थानों की तरह उसका स्वरूप उतना अधिक विकराल नहीं होगा | " 

       नोट :यदि किसी को भेजी हुई उसदिन की मेल चाहिए तो अपना जीमेल भेजिए फॉरवर्ड कर दी जाएगी - 


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