काँग्रेस फिर कभी सत्ता में आएगी क्या और आएगी तो कैसे ?

Category: संबंध Published: Sunday, 04 September 2022 Written by Dr. Shesh Narayan Vajpayee


            काँग्रेस के पतन और भाजपा के उत्थान का एक कारण यह भी है !

राहुल और प्रियंका जी काँग्रेस को उठाने के लिए इतना परिश्रम करते हैं फिर भी कांग्रेस है कि उठने का नाम ही नहीं ले रही है | आखिर कारण क्या है ?
राहुलगाँधी के नाम का पहला अक्षर 'र' है | 'र' अक्षर वाले किसी व्यक्ति को कोई भी राजनैतिक दल अपना नेतृत्व सौंप कर देख ले यही हाल होगा | बशर्ते पार्टी में क्या होगा क्या नहीं यह निर्णय लेने का अधिकार उसी र अक्षर वाले व्यक्ति के हाथ में हो | अर्थात वही सर्वे सर्व हो !
    नरेंद्र मोदी जी को भारत की केंद्रीय राजनीति में जितना लाभ उनकी अपनी योग्यता कार्यक्षमता कर्मठता एक जुटता रणनीति आदि का मिला है उससे ज्यादा सहयोग काँग्रेस का मिला है जिसका नेतृत्व 'र' अक्षर वाले राहुल गाँधी को सौंप दिया गया | जिससे काँग्रेस का पतन होता गया और

उसके अलावा एक ही सक्षम पार्टी बची भाजपा !काँग्रेस के पतन का लाभ उसे मिलता चला गया और मोदी जी की वाहवाही होती चली गई |
     संपूर्ण काँग्रेस केवल गाँधी नेहरू परिवार की ओर देखती है उस परिवार में अब ऐसा कोई सदस्य नहीं दिखता जिसके नाम का पहला अक्षर इतना सक्षम हो कि वो काँग्रेस को इस संकट से उबार सके !
   र  अक्षर वाले लोगों में दूसरों को नेता बनाने की अद्भुत क्षमता होती है किंतु खुद वे अपने बलपर नेता नहीं बन पाते हैं !कोई अचानक घटना घटित हो जाए या कोई मज़बूरी आ पड़े तो लोग समय पास करने के लिए ऐसे लोगों को नेता भले स्वीकार कर लें | इसके बाद वे र अक्षर के कारण सत्ता से हटा दिए जाते हैं ! 'र' अक्षर श्री राम का था उन्हें अयोध्या का वो राज्य मिला था जिसे भरत ने अस्वीकार कर दिया था ! रावण को  लंका का राज्य दान में मिला था और रघु को परंपरा से मिला था !                                 
    राजीव गाँधी जी परिस्थिति वश प्रधान मंत्री बने थे ,रावड़ी देवी को लालू का दिया हुआ राज्य मिला !रमन सिंह के नाम के पहले डॉ.निरंतर लगता है जिससे र अक्षर का अधिक प्रभाव उन  पर नहीं पड़ा !वैसे किसी देश का राष्ट्रपति प्रधानमंत्री भी यदि कोई व्यक्ति बन पाया है तो वो दूसरों के त्यागे हुए पद को ले सका है या किसी रणनीति के तहत कुछ सक्षम नेता लोग र अक्षर वाले उन लोगों को मुख्य मंत्री प्रधान मंत्री राष्ट्रपति जैसे पदों पर बैठा देते हैं जिन पर वे अपनी राजनैतिक क्षमता के बलपर पहुँचने लायक नहीं होते हैं |           
       इसीलिए जिस भीदेश या राज्य में र अक्षर वाला जो भी व्यक्ति मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री आदि बनाया गया उसे किसी मज़बूरी में किसी परिस्थिति बश तब तक के लिए बनाया गया जब तक बनाने वाले का मन हुआ | तब तक उसने रखा और नहीं मन आया तो उसी ने हटा दिया !बनाने वाले की अनुकंपा पर ही  बहुत कम  लोग ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए !

कुछ उदाहरण देखें आप भी -

ये लोग कैसे कैसे और किसके सहयोग सहानुभूति किस परिस्थिति आदि में उन पदों पर पहुँचे या पहुँचाए गए और कौन कौन कितने कितने दिन अपने अपने पदों पर टिक पाए –
                            मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री
रविशंकर शुक्ल - 1- 11-1956 से 31 -12 -1956 तक कुल
                            उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री
राम नरेश यादव - 23 -6 -1977 से 27 -2 -2079 तक कुल 1 वर्ष 249 दिन
रामप्रकाश गुप्त-12 -11-1999 से 28 -12 -2000
राजनाथ सिंह -28 -10 -2000 से 8 -3 -2002 तक कुल 1 वर्ष 131 दिन
                              बिहार के मुख्यमंत्री
राम सुंदर दास - 21 - 4 -1979 से 17 -2-1980 तक कुल 0 वर्ष 303 दि
रावड़ी देवी -9 मार्च 1999 से 2 -3 - 2000 तक कुल 0 वर्ष 359 दिन
रावड़ी देवी - 11 मार्च 2000 से 6 -3 - 2005 तक कुल 0 वर्ष 1821 दिन
    इसमें विशेष बात ये है कि रावड़ीदेवी लालूप्रसाद यादव के प्रभाव से मुख्यमंत्री बनीं अपने प्रभाव से नहीं! रावड़ी देवी की तरह ही डॉ.रमन सिंह एवं रघुबर दास केंद्रीय नेतृत्व के प्रभाव से मुख्यमंत्री बनाए गए !  
                              झारखंड के मुख्यमंत्री
रघुबर दास -28 -12-2014 से अभी भी (मोदी लहर में बने मुख्यमंत्री हैं )
                              छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
डॉ.रमन सिंह - 7 -12 -2003 से अभी भी हैं (पार्टी और संगठन के विशेष प्रभाव से मुख्यमंत्री बने तथा नाम के पहले लगे डॉक्टर शब्द का लाभ मिलता रहा है!  उनकी अपनी राजनैतिक कुशलता शैक्षणिक योग्यता कार्यनिष्ठा आदि उन्हें राजनीति में सफलता दिलाए हुए है! )
                                पंजाब के मुख्यमंत्री-
रामकिशन -7 जुलाई, 1964 से 5 जुलाई, 1966 तक
रजिंदर कौर भट्टल- 21 जनवरी, 1996 से 11 फरवरी, 1997
                               उड़ीसा के मुख्यमंत्री-
राजेंद्र नारायण सिंह देव - 8 मार्च 1 9 67 से 9 जनवरी 1 9 71 तक
                               केरल के मुख्यमंत्री-
आर. शंकर - सितंबर 1 9 62 से 10 सितंबर 1 9 64
                             उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
रमेश पोखरियाल निशंक 24 जून 2009 10 सितम्बर 2011
                              गोवा के मुख्यमंत्री
रविनाइक - 25 जनवरी 1991 से 18 मई 1993 कुल 2 वर्ष, 113
                             2 -4 -1994 से 8 -4 -1994 तक
                             कर्णाटक के मुख्यमंत्री-
रामकृष्णहेगड़े -8 -3 - 1985 से 13 -2 -1986 तक कुल 342 दिन, 16 -2 -1986 से 10 अगस्त 1988 तक, 10 अगस्त 1988 से
                             मणिपुर के मुख्यमंत्री-
रणवीरसिंह -23-2-1990 से 6 -1-1992 तक
राधाविनोदकोईझाम -15 -2 -2001 से 1 -6-2001 तक
                              त्रिपुरा के मुख्यमंत्री-
राधिकारंजनगुप्ता -26 -7 -1977 से 4 -11 -1977 तक
इसके अलावा दिल्ली, जम्मूकश्मीर, सिक्किम, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, गुजरात, असम, अरुणाचल, पश्चिम बंगाल, हिमाचल, हरियाणा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश आदि में र अक्षर का कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री नहीं बना!
   ऐसी परिस्थिति में र अक्षर से सम्बंधित नाम वाला कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जैसे पदों पर पहुँच कर स्वतंत्र रूप से कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा पाएगा और सबको समेटकर चल पाएगा!  मुझे इसमें कुछ कठिनाइयाँ अवश्य लगती हैं!
   र अक्षर के लोग सुयोग्य होते हैं कुशल रणनीतिकार होते हैं शिक्षा संबंधी बड़े बड़े पदों पर पहुंचते हैं किंतु जोड़ तोड़ राजनीति में दूसरों को विजयी बनवा देते हैं खुद बहुत कम बन पाते हैं !
  वैसे तो र अक्षर वाले लोग परदे के पीछे रहकर किसी दूसरे को उच्च पदों तक पहुँचाने की रणनीति बहुत अच्छी बना लेते हैं इन्हें उस क्षेत्र में महारथ हासिल होता है!
र अक्षर का प्रभाव और उदाहरण –
राम जी ने स्वयं राजा न होते हुए भी सुग्रीव और विभीषण को राजा बनाया था!
राष्ट्रीय स्वयं संघ -सत्ता में स्वयं सीधे नहीं आया!
रामलाल जी - कुशल संगठक
राम गोपाल यादव - कुशल रणनीतिकार!
    और भी बहुत लोग होंगे !
       ऐसी परिस्थिति में राहुल गाँधी का सीधेतौर पर प्रधानमन्त्री बन पाना मुझे कठिन लगता है जिस रणनीति के तहत राहुल गाँधी प्रधान मंत्री बनाए जा सकते हैं काँग्रेस का ध्यान अभी उस ओर गया ही नहीं है ! भाजपा में बाकी सबकुछ जैसा है वैसा ही बना रहने दिया जाता  और केवल नेतृत्व बदल कर किसी 'र' अक्षर वाले व्यक्ति को दे दिया जाता तो भाजपा का भी काँग्रेस जैसा ही हाल होता | भाजपा की कुशल रणनीति ,सक्षम नेतृत्व मजबूत संगठन जैसी सारी कारीगरी का भ्रम समाप्त हो जाता |  इतना ज्यादा  होता है किसी के नाम के पहले अक्षर का उसके एवं उससे संबंधित लोगों के जीवन पर प्रभाव ! बड़े बड़े राजनैतिक दलों का गुमान टूट जाता है यदि उनका नेतृत्व किसी 'र' अक्षर वाले व्यक्ति को सौंप दिया जाता है ! उसके साथ काम करने वाले एवं उससे ऊपर नीचे के पदों पर बैठे उसके साथ काम कर रहे लोग उससे इतना अधिकप्रभावित होते हैं |किसी एक व्यक्ति के नाम का पहला अक्षर उसके परिवार वैवाहिक जीवन व्यापार संस्था राजनैतिक दल सरकार आदि सभी प्रभावित होती हैं | किसी एक व्यक्ति के पद परिवर्तन का अच्छा बुरा प्रभाव साथ रहने या काम करने वाले संपूर्ण लोगों पर पड़ता है |                       

   आप इस लेख को अवश्य पढ़ें और जानें राहुलगाँधी और प्रियंकावाड्रा आखिर क्यों कभी नहीं बन सकते हैं प्रधानमंत्री !बड़ी बात यह है कि इसमें उनकी कोई गलती भी नहीं है काँग्रेस उन्हें यदि प्रधानमंत्री बनाना ही चाहती है तो उसे करने होंगे कुछ बड़े बदलाव !अन्यथा संपूर्ण काँग्रेस पार्टी ऐसे ही इस कमजोरी की सजा भोगते भोगते एक दिन समाप्त हो जाएगी !इसलिए इस कमजोरी को दूर करने के लिए हमारे सुझाव स्वीकार किए जाने चाहिए !अब आप स्वयं देखिए कि काँग्रेस की इतनी बुरी पराजय का वास्तविक कारण क्या है ?विस्तार से - -

    भगवान राम के नाम का पहला अक्षर चूँकि 'र' है इसी र अक्षर के कारण ही  श्री राम अपने बल पर कभी राजा नहीं बन सके थे जबकि वे दूसरों को राजा बनाते रहे किंतु खुद ... !भाई भरत ने अपना राज्य श्री राम को सौंपा तब वे राजा बन पाए !ऐसी परिस्थिति में 'र' अक्षर वाले राहुलगाँधी को अपना राज्य कोई क्यों सौंपेगा इसलिए वे अपने बल पर प्रधानमंत्री कैसे बन सकते हैं!चूँकि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता राहुल गाँधी हैं वे नहीं तो कौन ?इसलिए रिपीट होगी मोदी सरकार ! इसमें मोदी या भाजपा के लिए बहुत खुश होने जैसा कुछ भी नहीं है विपक्ष की जब तक ऐसी स्थिति रहेगी तब तक चुनावी परिणाम भी ऐसे ही होते रहेंगे !

     इसी प्रकार से र अक्षर वाले रावण को उनके भाई कुबेर का दिया हुआ राज्य मिला था !ऐसी परिस्थिति में अपने बल पर चुनाव लड़कर कोई र अक्षर वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री बन जाएगा इसकी कल्पना भी नहीं की सकती !इसका मतलब ये भी नहीं कि र अक्षर वाले लोग अयोग्य होते है !ये वस्तुतः योग्य और सम्मानित होते हैं ये किसी दूसरे को पढ़ा सकते हैं अच्छी शिक्षा एवं अच्छी सलाहकारिता के कारण ऐसे लोग अत्यंत सम्मान अर्जित करके राजगुरु या किसी दूसरे को राजा बनाने की क्षमता रखते हैं किंतु ऐसे लोग स्वयं की राजनैतिक प्रतिभा के बल पर स्वयं राजा नहीं बन सकते हैं !जानिए कैसे ?

  भाजपा में रामलाल जी सपा में रामगोपाल जी आदि की तरह !
      राजनीति में कई बार ऐसे लोग भी बड़े बड़े पदों पर पहुँचते देखे जा सकते हैं किंतु वो तभी पहुँच पाते हैं जब कुछ लोगों  का समूह किसी पद के लिए आपस  झगड़ रहा हो ऐसी परिस्थिति में कोई रास्ता निकालने के लिए सभी लोग मिलकर र अक्षर वाले किसी सम्मानित व्यक्ति को प्रतीक रूप में तब तक के लिए ऐसे पद पर बैठा देते हैं जब तक कोई समाधान न निकले ! जैसे -उत्तर प्रदेश में रामप्रकाश गुप्ता जी वा राजनाथ सिंह जी !किसी राजनैतिक दल में कई बार कोई दुर्घटना घट जाती है सिंपैथी में र अक्षर वाले लोग भी उच्च पदों तक पहुँच जाते हैं जैसे - श्री राजीव गाँधी जी !
     कई बार किसी क्षेत्र में किसी राजनैतिक दल के शीर्ष नेतृत्व के प्रति लोगों का समर्पण इतना अधिक होता है कि मुख्य मंत्री प्रत्याशी  का विचार किए बिना केवल उस राजनैतिक दल को वोट देते हैं ऐसे में पार्टी जिसे चाहे उसे मुख्य मंत्री बनावे और जब तक चाहे तब तक रखे ये पार्टी की मर्जी !इसलिए  जिम्मेदार  पार्टी का नेतृत्व होता है उस व्यक्ति के अपने नाम के पहले अक्षर का असर नहीं पड़ता है !रमन सिंह , रघुबर दास !
      कई बार कुछ लोग बहुत सम्मानित समझकर या तथा  कुछ लोग केवल खाना पूर्ति के लिए किसी विशेष पद पर बैठाए जाते हैं उनका सूत्रधार कोई और होता है - बाबू राजेंद्रप्रसाद जी,रामनाथ कोविद जी,रावड़ी देवी जी  आदि !
    कुल मिलाकर र अक्षर  से नाम वाले बहुत कम लोग हैं जो प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जैसे पदों तक  अपने बल पर पहुँच पाते हैं !जो पहुँच  भी जाते हैं वे किसी दूसरे की कृपा  से सहयोग से मजबूरी में या परिस्थिति बस या  पार्टी प्रभाव से या किसी सक्षम नेता के रबरस्टैंप बनकर पहुँच पाते हैं !रा अक्षर वाले बड़े से बड़े पदों पर पहुँचे लोगों का यही हाल रहा है !इसके अलावा जो लोग अपने बल पर किसी जुगत से पहुँच भी गए उनमें से भी बहुत कम लोग ही उन पदों पर अपना कार्यकाल पूरा कर पाते हैं !  

     सोनियाँ गाँधी प्रियंका और राहुल जी यदि चाहें तो मैं कॉंग्रेस शास्त्रीय मदद करने को तैयार ! हमारी शास्त्रीय मदद के बिना काँग्रेस का उद्धार असंभव !कॉंग्रेस का सत्ता के समीप पहुँच पाना असंभव यहाँ तक कि विपक्ष का पद भी सम्मान जनक ढंग से सुरक्षित रख पाने की स्थिति में नहीं रह जाएगी !दिनोंदिन दुर्बल होती कॉंग्रेस ने भाजपा का सबसे अधिक सहयोग किया है|                                   
नाम के पहले अक्षर का इतना बड़ा प्रभाव !आप स्वयं देखिए -
     इसके कारण  बड़े बड़े परिवार उजाड़ गए घर बार बिगड़ गए उद्योग धंधे चौपट हो गए !कम्पनियाँ संस्थाएं सरकारें बन बिगड़ देश टूट गए !भारत का नाम जब हिन्दोस्तान रखा गया तभी से इस देश के टुकड़े टुकड़े हो गए उसके बाद ही इस देश में विदेशी आक्रमणकारी हावी हो पाए !हिंदुस्तान नाम रखने से देश का इतना बड़ा नुक्सान हुआ है कि उसकी क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती है !सनातन धर्मियों को जब से हिंदू कहा जाने लगा तब वो किसी लायक नहीं रह गए !संस्कृत की पुत्री को जब से हिंदी कहा जाने लगा तब से इस भाषा का इतना अधिक अपमान हुआ है कि भारत वर्ष में हिंदी बोल और समझ लेने वाले लोग भी आपस में हिंदी न बोलकर अँग्रेजी बोलने लगे !दुर्भाग्य ही है ये कि अपनी भाषा को अपनों ने अपमानित किया है !इस भाषा का प्रत्येक अक्षर बहुत बड़े विज्ञान को समेटे हुए है जो संस्कृत के अतिरिक्त अन्य भाषाओँ में सुलभ नहीं है !

  
इसी प्रकार से -
   किस नाम की पार्टी में किस नाम वाला व्यक्ति नेता बनने जाएगा तो वो कितना सफल होगा !
   किस लोकसभा या विधानसभा सीट पर कौन सी पार्टी किस नाम के व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाएगी तो कैसा रहेगा !
   किस राजनैतिक दल के साथ कौन सा राजनैतिक दल गठबंधन करेगा तो परिणाम क्या होंगे !
   किस नाम का नेता किस नाम की पार्टी का नेतृत्व करे तो परिणाम कैसे होंगे ?
    किस नाम का व्यक्ति किस नाम के देश के किस नाम के प्रतिनिधियों से बात करे तो परिणाम कैसे निकालेंगे ?
    किस नाम की लड़की से किस नाम के लड़के का विवाह या मित्रता हो तो परिणाम कैसे निकलेंगे ?
    किस नाम के मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के कार्यालय में किस नाम का अफसर किस प्रकार के परिणाम देगा ?
    किस मंत्रिमंडल में किस नाम का व्यक्ति किस नाम के व्यक्तियों से कैसा वर्ताव करेगा ?
    किस नाम के अफसर के साथ किस नाम का जूनियर कर्मचारी काम करे तो कैसा रहेगा ?
    आदि और भी बहुत सारे विषयों पर वर्ण विज्ञान देता है अपनी स्पष्ट और प्रभावी राय !
     अक्षर भी प्रकाश पुंज होते हैं अक्षरों से भी सूर्य की तरह ही अदृश्य प्रकाश किरणें निकल रही होती हैं जो सामने पड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति आदि को प्रभावित किया करती हैं !अक्षर किरणों का प्रभाव इतनी दूर तक जाता है कि कई बार किसी बहुत दूर बैठे बिलकुल अपरिचत व्यक्ति के विषय में चर्चा सुनकर उससे मिलने का मन करता है इसी प्रकार से कुछ व्यक्तियों के विषय में सुनकर अनायास ही हम उनकी निंदा आलोचना करने लगते हैं !ऐसी दोनों ही परिस्थितियों में उनके नामों के पहले अक्षर की किरणें उस व्यक्ति से मिलने न मिलने का निर्णय ले रही होती  हैं!
      कई बार देखा जाता है कि बाजार मेला स्टेशन या ट्रेन पर हम तमाम अपरिचितों के बीच बैठे होते हैं !उस भीड़ के तमाम लोगों में से कुछ लोग हमें अच्छे लगने लगते हैं कुछ लोगों को हम अच्छे लगने लगते हैं और दोनों लोग आपस में इतने अधिक एक दूसरे से घुल मिल जाते हैं कि एक दूसरे के मित्र बन जाते हैं !बाकी और दूसरे आस पास बैठे लोगों से हमारी बात भी नहीं हो पाती है कुछ लोगों से तो अकारण घृणा भी होने लगती है !ये सब नाम के पहले अक्षर की एक दूसरे पर पड़ने वाली किरणों का ही प्रभाव होता है !
      इसी प्रकार से अपने नाम के पहले अक्षर के अनुशार कुछ लोगों का कुछ शहरों ,संगठनों,संस्थानों या कुछ राजनैतिक दलों के साथ नाम दोष हो जाता है !ऐसे लोग अनायास ही उनसे घृणा करने लगते हैं इसी दोष के कारण कई बार दिल्ली का आदमी कलकत्ते में और कलकत्ते का आदमी दिल्ली में जूस बेच रहा होता है दोनों का अपने अपने शहरों के साथ नाम दोष है क्योंकि जूस तो दोनों शहरों में बिकता है !राजनैतिक दल बदल में भी यही होता है !
     कुछ लोगों के साथ ऐसा होता है कि वे यदि कुछ नाम वाले लोगों के साथ जितनी देर रहते हैं उन्हें तनाव होता रहता है ऐसे लोग यदि अपने घर में ही रहते हैं या उन्हीं से न चाहते हुए यदि किसी स्वार्थबश प्रेम मित्रता या विवाह हो जाए तो ऐसे लोगों के साथ लगातार तनाव में रहते रहते उन्हें शुगर वीपी आदि सब कुछ हो जाता है !ऐसे तनाव ग्रस्त स्त्रीपुरुष विवाह के अलावा अन्य पुरुष स्त्रियों के संपर्क में आ जाते हैं क्योंकि उन्हें वहाँ वो सुख मिल रहा होता है जो जिसके साथ विवाह हुआ उससे उन्हें नहीं मिल पाया !ऐसे लोग अपनी समस्याएँ जिससे बताने जाते हैं उन्हीं मनोचिकित्सकों पंडितों पुजारियों बाबाओं कथाबाचकों आदि को अपना बना लेते हैं !उन मजनुओं को लगता है कि वो सुन्दर हैं इसलिए वे बाबा वे कथाबाचक सजाने सँवरने लगते हैं  ऐसे लोग धर्म के नाम पर अपने चेले चेलियों के घर बर्बाद करते घूम रहे होते हैं !जिसके साथ नाम दोष होता है वो किसी स्वार्थ में जुड़ तो जाते हैं किंतु नाम दोष के कारण बाद में ऐसे बाबाओं से घृणा करने लगते और उन्हें जेलों में डलवा देते हैं !ये सम नामाक्षरों के कारण घटित होता है !
    कुछ लोगों पर कुछ राजनैतिक दल कुछ सरकारें कुछ संगठन आदि भारी होते हैं उनमें सम्मिलित होकर उनका अच्छा खासा व्यक्तित्व समाप्त हो जाता है !इसी प्रकार से कुछ लोग अपने नाम के अनुशार कुछ दलों कुछ सरकारों संगठनों कुछ संस्थानों पर भारी होते हैं वो उनसे जुड़कर उन्हें बर्बाद कर देते हैं !
     कुछ राजनैतिक दल किसी ऐसे नाम के व्यक्ति को अपना नेता मान लेते हैं जो उस पार्टी की छवि को ख़राब कर रहा होता है और अपना समय जीवन आदि भी बर्बाद कर रहा होता है जिसमें उसकी कोई गलती भी नहीं होती है किंतु ऐसे नाम दोषी लोग देश के पुराने से पुराने दलों की साख समाप्त कर देते देखे जाते हैं !
     कुछ सरकारों में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जैसे पदों पर बैठे लोगों के साथ उस कार्यालय के कुछ बड़े अफसरों का नाम दोष होता है इसलिए वो अफसर ऐसा कोई अच्छा काम करेंगे ही नहीं जिसका यश उस मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री की मिल जाए !
      कुछ आफिसों में अफसरों के जूनियर कर्मचारी इसी भावना से भावित होते हैं उन पर यदि ठीक से निगरानी नहीं की गई तो वे अच्छे खासे कर्मठ ईमानदार अपने अफसर को भी अपने कर्मों से घूसखोर भ्रष्ट आदि सिद्ध कर दते हैं !
     कुछ अफसरों या उद्योगपतियों के अपने कार्यालयों या घरों में चाय पानी भोजन आदि देने कुछ नौकर होते हैं उनके साथ यदि नाम दोष हुआ तो वो उनको जूठा या गंदा खिला पिलाकर अपना बैर निकालते देखे जाते हैं !
    किसी कोर्ट में फैसला सुनाते समय जज लोगों के नाम का पहला अक्षर और उन वादी विवादियों के नाम का पहला अक्षर उस फैसले को प्रभावित कर देता है !
     किस नाम का वकील किस नाम के व्यक्ति का केस लड़ रहा है उन दोनों के नाम का पहला अक्षर ये सिद्ध कर देता है कि यह वकील उसके लिए कैसा रहेगा !कई बार वकील जिसका होता है उसके विरोधी के नाम का पहला अक्षर यदि उसके मित्रवर्ग में आता है तो वकील अपने क्लाइंट का साथ छोड़कर उसका साथ देने लगता है !ऐसा ही चिकित्सक एवं रोगी के बीच भी होते देखा जाता है !कई बार बड़े बड़े चिकित्सक भी छोटे छोटे रोगियों पर भी अपनी चिकित्सा का असर न डाल पाने के कारण अपयश का भाजन बनते देखे जाते हैं!और उनकी योग्यता उन रोगियों के लिए शून्य सिद्ध होती है !
    राजनीति के लिए जो लोग जिस दल में जाते हैं  उस नाम का पहला अक्षर एवं उस दल के प्रमुख नेता के नाम का पहला अक्षर उनके नामों के पहले अक्षर के साथ जिस प्रकार का अपना सम्बन्ध होता है वैसा लाभ या हानि होती है !
      कोई नेता जिस नाम की पार्टी से जिस नाम की लोकसभा या विधान सभा की सीट से चुनाव लड़ रहा होता है दूसरी पार्टी के जिन प्रत्याशियों के सामने चुनाव लड़ना होता है उनके नाम के पहले अक्षर उसे उस सीट के लिए योग्य या अयोग्य उम्मीदवार सिद्ध करते हैं !
       नाम के पहले अक्षर के कारण ही तो बहुत लोग संगठन संस्थान पार्टियाँ सरकारें परिवार वैवाहिक जीवन आदि बर्बाद हो गए !राजनैतिक पार्टियों में होने वाले गठबंधन बिगड़ गए !कुछ नेताओं को कुछ राजनैतिक पहले नहीं इस कारण उनका जीवन बर्बाद हो गया !चुनावों में किस नाम के संसदीय दल में किस नाम के प्रत्याशी के सामने किस नाम के प्रत्यासी को चुनाव लड़ाया जाए तो जीत मिलेगी ये नाम के अनुशार होता है किस नाम के नेता के नेतृत्व में किस नेता को चुनाव लड़ाया जाए तो पार्टी जीतेगी ये नाम के अक्षर के अनुशार होता है !किस नाम का नेता किस पार्टी पर भारी है ये उन दोनों के नाम के पहले अक्षर के आधार पर होता है !
जिस किसी परिवार संस्थान संगठन पार्टी सरकार आदि में अ अक्षर वाली ये स्थिति है वहाँ यही हो रहा है जब अ अक्षर के नाम वाले व्यक्ति के सामने किसी दूसरे अक्षर वाला व्यक्ति आ जाए तो किस अक्षर वाले के आ जाने से क्या परिस्थिति बनती है ये हर अक्षर के साथ अलग अलग है !इसके बाद किसी दूसरे अक्षर के सामने कोई  दूसरा अक्षर आवे तो परिणाम उस तरह का होता है !
      कुछ लोगों को अक्षर विज्ञान देखकर राशि या राशिफल जैसा भ्रम हो सकता है किंतु इस अक्षर विज्ञान की ऐसे किसी भी विषय से कोई तुलना नहीं है ये तो बहुत बड़ा वैदिक रिसर्च है ! इससे सभी प्रकार के टूटे हुए संबंधों को पुनर्जीवन दिया जा सकता है आप यदि किसी रूठे संबंधी को मनाना चाहतें हैं या बिगड़े संबंध को बनाना चाहते हैं आपके परिवार व्यापार विभाग कार्यालय संगठन संस्था सरकार राजनैतिक दल में आपके सहयोगियों के साथ आपके संबंध कैसे रहेंगे या उनके साथ संबंध अच्छे रखने के लिए आपको उनके साथ कैसा वर्ताव करना होगा किस नाम के राजनैतिक दल के किस राष्ट्रीय नेता के साथ मधुर संबंध बनाए रखने के लिए किसे क्या क्या सावधानियाँ बरतनी होंगी !

   आपको अपने संपर्क के लोगों के विषय में ये पता हमेंशा करते रहना चाहिए !कई बार आपके साथ या आसपास रहने वाले बहुत लोग बहुत अच्छे होते हैं | आपके ऊपर और नीचे वाले पदों पर बैठे लोग बहुत अच्छे होते हैं किंतु आपके नाम के पहले अक्षर के साथ उनका तालमेल नहीं बैठ रहा होता है इसलिए आप और वे एक दूसरे को अपना शत्रु मानने लगते हैं जबकि गलती उन दो में किसी की नहीं होती है | नाम के पहले अक्षर के साथ संतुलन नहीं बन पा रहा होता है | 

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