आकाशवाणियाँ अभी भी होती हैं कोरोना महामारी के बिषय में भी आकाशवाणियाँ होती रही थीं |
आकाशवाणियाँ अभी भी होती हैं किंतु उनकी भाषा न समझ पाने के कारण लगता है कि शायद आकाशवाणियाँ होनी ही बंद हो गई हैं |वस्तुतः आकाशवाणियों की कोई भाषा नहीं होती है अपितु संकेत होते हैं जो चराचर प्रकृति में प्रकट होने लगते हैं ऐसे समय समय पर प्रकट होने वाले उन संकेतों के आधार पर अनुसंधान पूर्वक प्रकृति एवं जीवन से संबंधित भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं के बिषय में पूर्वानुमान
लगा लिया जाता है | उन प्राकृतिक संकेतों के बिषय में अनुसंधान उसी महाविज्ञान के द्वारा किया जाता है जिसके द्वारा सूर्य और चंद्रग्रहण जैसी बड़ी आकाशीय घटनाओं के बिषय में सही एवं सटीक पूर्वानुमान हजारों वर्ष पहले ही लगा लिया जाता रहा है |
ऐसी आकाशवाणियों के आधार पर ही कोरोनामहामारी के बिषय में मैंने बहुत पहले पूर्वानुमान लगा लिया था कि कोरोना का संक्रमण किन किन तारीखों में बढ़ेगा और किन तारीखों में कम होगा और कबपूरी तरह से समाप्त होगा|हमारे द्वारा इसके साक्ष्य प्रस्तुत किए जा सकते हैं |
कोरोना महामारी पैदा होने का वास्तविक कारण क्या है !इससे बचाव के लिए उपाय क्या हैं! संक्रमण का विस्तार कितना है !महामारी के प्रसार का माध्यम क्या है | महामारी का मौसम से क्या संबंध है आदि महामारी के बिषय में आवश्यक बातों का पूर्वानुमान एवं कारणों के बिषय में मैंने पहले ही खोज लिए थे |
जिस महाविज्ञान के द्वारा सूर्य और चंद्रग्रहण जैसी बड़ी आकाशीय घटनाओं के बिषय में सही सही पूर्वानुमान हजारों वर्ष पहले लगा लिया जाता है उसी महाविज्ञान के द्वारा कोरोना जैसी महामारियों के अलावा भी प्रकृति और जीवन से संबंधित कई अन्य घटनाओं के बिषय में हमारे द्वारा पूर्वानुमान लगा लेना कौन बड़ी बात है |
मैंने लगभग तीस वर्ष पहले पर ऐसे बिषयों पर अनुसंधानकरना प्रारंभ किया था उसके कुछ वर्ष के बाद ही महामारी एवं वर्षा आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं के बिषय में बहुत पहले ही पूर्वानुमान लगाने में मुझे सफलता मिलने लगी थी|
इस महाविज्ञान के द्वारा वर्षों पहले हमारे यहाँ इस बात का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है कि किन किन वर्षों के किन महीनों की किन किन तारीखों में कैसी कैसी वर्षा होने की संभावना है| किन तारीखों में आँधी ,तूफान या चक्रवात की संभावना है| तापमान एवं वायुप्रदूषण बढ़ना या घटना किन किन तारीखों में संभव है|जलवायुपरिवर्तन आदि के कारण कब किस प्रकार की प्राकृतिक या जीवन से संबंधित घटनाएँ घटित हो सकती हैं हमारे द्वारा ऐसी सभी घटनाओं के बिषय में पूर्वानुमान आज भी उसी महाविज्ञान के द्वारा लगा लिया जाता है जिसके द्वारा सूर्य और चंद्रग्रहणों के बिषय में सही सही पूर्वानुमान हजारों वर्ष पहले लगा लिया जाता है |
उसी महाविज्ञान के द्वारा इस बात का भी पूर्वानुमान लगा लिया जाता है कि वायुमंडल में ज्वलनशील गैसों की अधिकता किन किन तारीखों में होगी जिससे ऐसी तारीखों में अन्य दिनों की अपेक्षा आग लगने की दुर्घटनाएँ घटित होते अधिक देखी जाती हैं |
हमारे यहाँ मानसिक तनाव बढ़ने का भी पूर्वानुमान लगा लिया जाता है कि किन महीनों की किन किन तारीखों में मानसिक तनाव बढ़ने की संभावना अधिक है ऐसी तारीखों का पूर्वानुमान उसी महाविज्ञान के द्वारा पहले से ही लगा लिया जाता है| ऐसी तारीखों में परेशान तो प्रायः प्रत्येक व्यक्ति होता है किंतु जिन्हें पहले से ही कोई तनाव चला आ रहा होता है ऐसे तनावग्रस्त लोगों को ऐसी तनावी तारीखों में अधिक परेशान होते देखा जाता है | ऐसी तारीखों में समाज में तनाव का वातावरण बनता है जिससे दो देशों समुदायों संप्रदायों परिवारों सदस्यों आदि के बीच आपसी तनाव बढ़ जाता है|दो देशों की सीमाओं पर तनाव बढ़ जाता है |
उसी महाविज्ञान के द्वारा उपद्रवों की तारीखों का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है जिनमें भूकंप ,बज्रपात,विमान एवं वाहनों से संबंधित दुर्घटनाएँ अधिक घटित होती हैं वाहन टकरा जाते हैं | बसें खाई में गिरजाती हैं दंगे भड़क जाते हैं सरकारों एवं शासन के बिरुद्ध आंदोलन शुरू कर दिए जाते हैं| देशों की सीमाओं पर संघर्ष गोलीबारी आदि की जाने लगती है | बमविस्फोट आदि हिंसक आतंकवादी घटनाएँ ऐसे दिनों में अधिक घटित होते देखी जाती हैं | इन तारीखों में मानसिक बेचैनी बढ़ने के कारण मनुष्य समेत सभी जीव अधिक हिंसक एवं आक्रमक हो जाते हैं |लोगों के चिंतन में उन्माद एवं हिंसा की मात्रा अन्य तारीखों की अपेक्षा इन दिनों में अधिक बढ़ जाती है |ऐसे ही दिनों में उन्मादित भीड़ के द्वारा पत्थरबाजी जैसी घटनाएँ की जाती हैं|कुलमिलाकर ऐसे दिनों में परिस्थितियाँ बिगड़ने की संभावना अधिक रहती है |