'मित्रविज्ञान' के विषय में जानें इसके बाद बनाएँ किसी को अपना मित्र !
मित्रता का निर्णय यदि गलत हो तो भोगनी पड़ती हैं रोग, मनोरोग, हत्या,
आत्महत्या जैसी समस्याएँ !
मित्रता यदि किसी ऐसे लड़के या लड़की से हो जाए जो आपके लिए ठीक न हो तो ऐसा मित्र आपके हृदय पर बोझ बन जाता है इससे आप रोग, मनोरोग, हत्या, आत्महत्या जैसी भयंकर समस्याओं के शिकार हो सकते हैं !जानिए कैसे ?
मित्रता भावावेश में कभी नहीं की जानी चाहिए!इसके लिए मूडीपन सबसे अधिक खतरनाक होता है दिलफेंक टाईप के लोग अक्सर ऐसी भयंकर समस्याओं से घिरते देखे जाते हैं !व्यापार में बनाए गए ऐसे पार्टनर अक्सर तनाव देते रहते हैं और बाद में धोखा दे जाते हैं! प्रेमी-प्रेमिका के संबंध हों या पति-पत्नी के सभी जगहों पर ऐसी समस्याओं का सामना करते देखा जाता है !किसी के द्वारा किया जा रहा प्रेम वास्तव में प्रेम है या स्वार्थ इसका पता कैसे लगाए ?और इसका पता लगाए बिना ही यदि मित्र भावना से आप किसी से जुड़ गए तो हो सकता है कि वो तुम्हारी मित्रता पर विश्वास ही न करता हो और वो तुमसे केवल किसी स्वार्थ के कारण ही जुड़ा हो ऐसी परिस्थिति में 'मित्रविज्ञान' को पढ़े और माने बिना उसकी मित्रता के बिषय में आप समझ नहीं सकते हैं !उसके विषय में केवल तीर तुक्के ही लगा सकते हैं !
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'व्यापारविज्ञान'- व्यापार करने के लिए ये बहुत आवश्यक होता है !जानिए कैसे ?
'व्यापारविज्ञान' वो विज्ञान है जिसे पढ़कर समझकर एवं पालन करके लोग जीरो से हीरो बनते देखे जाते हैं!इसे जाने बिना लोग तरह तरह से नुक्सान उठाया करते हैं और पंडितों पुजारियों बाबाओं तांत्रिकों मुल्लों मालवियों के यहाँ धक्के खाया करते हैं !जो निष्फल होता है !इसलिए यदि आप कोई व्यापार करना चाह रहे हैं या पहले से करते चले आ रहे हैं और आपके मन में शंका है कि व्यापार चलेगा या नहीं चलेगा अथवा जो व्यापार पहले से चला आ रहा है उसमें जो सफलता मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है या उसमें नुक्सान होता चला जा रहा है या किसी तांत्रिक जादू टोना आदि वाले ने आपके मन में कोई वहम डाल रखा है और आप उससे परेशान हैं तो आप इन सभी अंधविश्वासों से ऊपर उठकर एक बार इस 'व्यापारविज्ञान' को अवश्य पढ़िए और सोचिए कि गलती आपसे आखिर हो कहाँ रही है !
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संबंधों के बिगड़ने से पहले लगाइए उनके बनने या बिगड़ने के विषय में पूर्वानुमान !
मित्रता हो या नाते रिस्तेदारी ऐसे संबंधों को मधुर बनाने में बहुत समय लग जाता है और काफी त्याग बलिदान करना पड़ता है समय भी बहुत देना पड़ता है!इसके बाद भी जब ऐसे संबंध बिगड़ते हैं तब बहुत कष्ट होता है !प्रेम संबंधों में तो ऐसी परिस्थिति पैदा होने पर कुछ लोग सह पाते हैं और कई बार नहीं भी सह पाते हैं इसलिए कई बार अवसाद (तनाव) में चले जाते हैं !नशे के आदी हो जाते हैं कई बार हत्या आत्महत्या तक करते देखे जाते हैं !
ऐसी परिस्थिति में उचित तो यह है कि किसी भी मित्रता या नाते रिस्तेदारी करने से पहले इस बात का पूर्वानुमान लगा लिया जाना चाहिए कि ये संबंध चलेगा कितने दिन और कैसे तथा ये कहीं टूट न जाए इसके लिए क्या क्या सावधानियाँ बरती जानी चाहिए !
संबंध तीन कारणों से बनते या बिगड़ते देखे जाते हैं !ऐसी परिस्थिति में स्वार्थ के कारण ,समय के कारण, नाम के पहले अक्षर के कारण प्रभावित होकर हम अपने मित्र और शत्रु बना लिया करते हैं !
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मौसम का पूर्वानुमान मैथ से -
पूर्वानुमान पता लगाने के लिए क्रांतिकारी पहल !
यदि मौसम से संबंधित पूर्वानुमान आवश्यक है तो जीवन से संबंधित पूर्वानुमान जानना भी तो आवश्यक है आधुनिक वैज्ञानिकों ने उसके विषय में क्यों नहीं सोचा ? सच्चाई ये है कि शरीर अस्वस्थ एवं मन परेशान है तो सबसे पहले यह जानने की इच्छा होती है कि हमारा शरीर कब स्वस्थ होगा और चिंताएँ कब दूर होंगी ? पहले अपना स्वास्थ्य अपना मन उसके बाद में मौसम !शरीर स्वस्थ एवं मन प्रसन्न है तभी तो सब कुछ अच्छा लगता है !शरीर ही न रहे या परेशान रहे तो मौसम संबंधी पूर्वानुमानों का क्या किया जाएगा?इसलिए सबसे पहले अपने जीवन से संबंधित घटनाओं के पूर्वानुमान का पता लगाना चाहिए औरबाद में वर्षा बाढ़ आँधी तूफान से संबंधित पूर्वानुमानों का !
चिकित्सा में समय की बहुत बड़ी भूमिका है !
किसी का समय ठीक हो तो कम चिकित्सा या बिना चिकित्सा के भी बड़े बड़े रोग भाग जाते हैं !समय साथ देता है तो ग्रामीण किसान मजदूर एवं जंगल में रहने वाले आदिवासी भी स्वस्थ रह लेते हैं बिना कोई टिका लगे हुए भी उनके बच्चे स्वस्थ सुदृढ़ एवं निरोग रह लेते हैं !समय साथ न दे तो बड़े बड़े राजा महाराजा सेठ साहूकार मंत्री आदी सारे साधन होने के बाद भी रोगी होते और मरते देखे जाते हैं !इससे ये सिद्ध हो जाता है कि चिकित्सा बहुत कुछ है लेकिन सबकुछ नहीं है !स्वस्थ रहने के लिए समय और चिकित्सादोनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है !किसी का समय जब ख़राब होता है तब उसे कोई रोग होता है या किसी के साथ कोई शारीरिक दुर्घटना तभी घटित होती है जब उसका समय ख़राब होता है !जब तक किसी का समय ख़राब रहता है तब तक उस रोगी को अच्छे डॉक्टरों के विषय में पता नहीं होता है जब उनके विषय में पता होता है तब उनसे मुलाकात करना बड़ा कठिन हो जाता है जब वो मिल पाते हैं तो उन्हें रोग समझ में नहीं आता है जब वे रोग समझ पाते हैं तब वो जो दवा लिखते हैं वो या तो मिलती नहीं है और यदि मिल भी गई तो उस रोगी पर असर नहीं करती है !दवा के लाभ न करने पर डॉक्टर लोग दवाएँ बदलते रहते हैं !जबकि रोगी लोग चिकित्सक बदलते रहते हैं !स्वदेश से लेकर विदेश तक चिकित्सा करवाते करवाते जब उतना समय बिता लेते हैं जितना बुरा होता है !उसके बाद उस रोगी के स्वस्थ होने का जब समय आ चुका होता है उस समय ऐसे स्वस्थ होने लायक रोगियों की औषधी स्वयं उनका अपना समय ही बन जाता है !और वह स्वयं ही स्वस्थ होने लगते हैं !