काँग्रेस फिर कभी सत्ता में आएगी क्या और आएगी तो कैसे ?
काँग्रेस के पतन और भाजपा के उत्थान का एक कारण यह भी है !
राहुल और प्रियंका जी काँग्रेस को उठाने के लिए इतना परिश्रम करते हैं फिर भी कांग्रेस है कि उठने का नाम ही नहीं ले रही है | आखिर कारण क्या है ?
राहुलगाँधी के नाम का पहला अक्षर 'र' है | 'र' अक्षर वाले किसी व्यक्ति को कोई भी राजनैतिक दल अपना नेतृत्व सौंप कर देख ले यही हाल होगा | बशर्ते पार्टी में क्या होगा क्या नहीं यह निर्णय लेने का अधिकार उसी र अक्षर वाले व्यक्ति के हाथ में हो | अर्थात वही सर्वे सर्व हो !
नरेंद्र मोदी जी को भारत की केंद्रीय राजनीति में जितना लाभ उनकी अपनी योग्यता कार्यक्षमता कर्मठता एक जुटता रणनीति आदि का मिला है उससे ज्यादा सहयोग काँग्रेस का मिला है जिसका नेतृत्व 'र' अक्षर वाले राहुल गाँधी को सौंप दिया गया | जिससे काँग्रेस का पतन होता गया और
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मौसम पूर्वानुमान आज से दस हजार वर्ष पहले तक का जानने की विधि !
प्राकृतिक विषयों में वैज्ञानिकों का यह ढुलमुल रवैया अत्यंत चिंताजनक है | महामारी हो या मौसम किसी क्षेत्र में वैज्ञानिकों की कोई सार्थक भूमिका ही नहीं दिखाई पड़ रही है | प्राकृतिक आपदा आने से पहले वे उसके विषय में कुछ भी बता पाने में कभी सफल नहीं हुए हैं प्राकृतिक आपदाएँ जब बीत जाती हैं तब वही वैज्ञानिक पहले तो लीपापोती करनी शुरू करते हैं और बाद में वही लोग महामारी या मौसम से संबंधित प्राकृतिक आपदाओं के विषय में भविष्य को लेकर तरह तरह की डरावनी अफवाहें फैलाने लगते हैं |जिन मौसम संबंधी अनुसंधानों के भारत सरकार पानी की तरह पैसा बहाती है वे अपने मौसम संबंधी पूर्वानुमान बताकर जनता का विश्वास जीतने में तो कभी सफल हो ही नहीं सके | प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी को 28 जून एवं 16 जुलाई 2015 को बनारस में आयोजित दो रैलियाँ मौसम के कारण ही कैंसिल करनी पड़ीं थीं जिनकी तैयारियों पर करोड़ों रूपए खर्च हुए थे | ऐसे अनुसंधानों में यदि इतनी भी क्षमता नहीं है कि वे प्रधान मंत्री जी को भी अपने पूर्वानुमानों से मदद पहुँचा सकें जनता उनसे क्या आशा करे ?
इसप्रकार से जो लोग एक दो सप्ताह पहले के मौसम संबंधी पूर्वानुमान सही सही नहीं बता पाते हैं वही जलवायु
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राहुलगाँधी और काँग्रेस के राजनैतिक भविष्य के विषय में शास्त्रीय पूर्वानुमान !
राहुल और प्रियंका नाम के पहले अक्षर का इतना बड़ा प्रभाव !
काँग्रेस की सबसे बड़ी समस्या न भाजपा है और न ही राहुल प्रियंका हैं ये लोग परिश्रम भी बहुत अधिक कर रहे हैं किंतु उसका लाभ काँग्रेस को न मिल पाने का कारण क्या है | कुछ लोगों को लगता है कि प्रियंका गाँधी कमान सँभालेंगी तो काँग्रेस तरक्की कर जाएगी किंतु शास्त्रीय सच्चाई यह है कि प्रियंका जी चाहकर भी कोई चमत्कार नहीं कर पाएँगी !इसका कारण राहुल और प्रियंका के नाम के पहले अक्षर हैं किंतु अब नाम तो बदले जा नहीं सकते इसलिए इसका एक और विकल्प है जिसे बताने के लिए मैंने काँग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व से कई बार समय माँगा किंतु वहाँ से कोई
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मौसमवैज्ञानिकों का झूठ पकड़ा गया !जानिए कैसे
मौसम वैज्ञानिकों ने मानी हार और स्वीकार किया कि मौसम का पूर्वानुमान लगा पाना उनके वश की बात नहीं है | ऐसी परिस्थिति में प्रश्न उठताहै जनता की खून पसीने की कमाई से प्राप्त टैक्स के पैसे सरकार ऐसे लोगों पर खर्च क्यों करती है जिनके वश का कुछ है ही नहीं !उन लोगों ने भूकंपों के विषय में पहले ही स्वीकार कर लिया था कि पूर्वानुमान लगाना उनके वश की बात नहीं है क्योंकि उसमें हाँ और न में सीधा जवाब देना पड़ता हैइसलिए इसमें झूठ चल नहीं पाता है तथा वर्षा आँधी तूफ़ान आदि में झूठ चल जाता है इसलिए अभी तक उस झूठ का सहारा लेकर मौसम संबंधीभविष्यवाणियाँ की जाती रही हैं जिन्हें सुन सुन कर किसान कृषि कार्यों में नुक्सान उठाते और आत्महत्या करते रहे हैं ऐसे मौसम पूर्वानुमान लगाने केनाम पर मौसम विज्ञान के सञ्चालन में अभी तक जो धन खर्च किया जाता रहा है उसकी पाई पाई और पलपल का हिसाब आखिर कौन देगा !आपस्वयं देखिए see more...https://epaper.livehindustan.com/imageview_484316_46643970_4_1_06-01-2020_8_i_1_sf.html
भाग्य के सहयोग के बिना कर्म का फल नहीं मिलता !
भाग्य और भगवान पर भरोसा न करने से पैदा होते हैं अहंकार अपराध और आत्महत्या जैसे भाव !
कोई भी अपराधी अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए या अपनी इच्छा के अनुशार दूसरों को चलाने के लिए अथवा अपने मन मुताबिक सुख सुविधा आदि पाने के लिए प्रयत्न करते करते जब थक जाता है इसके बाद भी सफल नहीं होता है तब भी उसके मन में पैदा होती है अपराध की प्रवृत्ति |
कुछ मोटीवेटर सिखाते देखे जाते हैं कि आप प्रयास करो सफलता अवश्य मिलेगी | यदि न मिले तो अपने कर्म करने में कोई कमी रह गई है ऐसा मानना चाहिए | इसलिए बार बार प्रयत्न करो सफलता अवश्य मिलेगी |
बंधुओं ! किसी कर्म और सफलता का संबंध पंखे के स्विच और पंखे के आपसी संबंध की तरह नहीं होता कि स्विच दबाते ही पंखा चल उठेगा | कर्म और सफलता दोनों अलग अलग बातें हैं किंतु जब इन दोनों को एक साथ मिला दिया जाता है तब अपराध करने का भाव जगता है | असफल