तलाक होने का कारण है तनाव !तनाव न हो तो 'तलाक' क्या कोई संबंध नहीं बिगड़ेगा !जानिए कैसे ?

Category: Forcasting (Health) Published: Friday, 02 August 2019 Written by Dr. Shesh Narayan Vajpayee

                                          अब जानिए तनाव रोकने का उपाय !

  किसी को तनाव होता है उसके अपने समय के कारण !आपका जब जैसा समय चल रहा होता है तब तैसा स्वभाव सोच बात व्यवहार आदि बनता है !समय का पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो तो तनाव को रोका जा सकता है !यदि आपको भी कोई तनाव है तो उसे समाप्त करने के लिए जरूर पढ़ें यह लेख !
      आपका मानसिक तनाव बढ़ने से केवल आप ही नहीं अपितु आपके आसपास के सभी लोग प्रभावित होने लगते हैं आपका स्वभाव बदलजाता है आपका बात व्यवहार बदल जाता है जिसका आपको अहसास भी नहीं होता है और आपके आसपास के लोग घुट घुटकर आपके साथ जीने को मजबूर होते हैं आप संबंधों की दुहाई दे दे कर कब तक किसी को अपमानित करते रहेंगे और कोई क्यों सहेगा !आपके संपर्क में जो जितना अधिक निकट होता है आपसे वो उतना अधिक परेशान होता है चूँकि जीवन साथी(पति और पत्नी ) एक दूसरे के सबसे निकटतम सहयोगी होते हैं इसलिए एक दूसरे के तनाव से सबसे अधिक परेशान भी वही होते हैं !इसलिए वही परेशान  होकर एक दूसरे से अलग हो जाते हैं !ऐसे ही अन्य सभी संबंध भी बिगड़ जाते हैं नाते रिस्तेदारियाँ टूट जाती हैं !
      किसी का समय अच्छा बुरा दो प्रकार का होता है समय के अनुशार सोच बदलती जाती है !अच्छे समय में हम जिन लोगों को उनके बात व्यवहार को अच्छा समझकर जुड़ते हैं अपना बुरा समय आते वे सब वही रहते हैं किंतु वही लोग वही बात व्यवहार हमें बुरा लगने लगता है !समय के कारण सोच में इतना बड़ा बदलाव आ जाता है !
      ऐसी परिस्थिति में हम समय का बदलना तो नहीं रोक सकते हैं किंतु यदि हमें इस बात का पूर्वानुमान पता हो कि कब कैसा समय बदल रहा है तो बुरा समय

आने पर हम अपने सोच और बात व्यवहार को अधिक नहीं बदलने देंगे और समय के प्रभाव को समझते हुए कुछ अपनी भी सहने की आदत डालेंगे !ऐसे सकारात्मक प्रयासों से बुरा समय भी निकल जाता है और संबंध भी सुरक्षित बने रहते हैं !
      बुरा समय किसके जीवन में कब आएगा इसका पूर्वानुमान समय विज्ञान के द्वारा ही लगाया जा सकता है जिसके लिए आप अपना डेट ऑफ बर्थ हमारे जीमेल पर भेज सकते हैं उस डेट ऑफ़ बर्थ पर रिसर्च करके आपको फोन द्वारा सूचित कर दिया जाता है कि निकट भविष्य में आपका अच्छा समय कब आएगा और बुरा समय कब आएगा और कितने समय के लिए !
     बुरे समय के प्रभाव से आपके सारे संबंध बिगड़ने लग जाते हैं जो जितने करीब होते हैं वही उतने दूर होने लगते हैं !आपके तनाव का असर सबसे अधिक उन्हीं पर पड़ता है !उन्हें ये पता ही नहीं होता है कि आप जो चिड़चिड़े हो रहे हैं उसका कारण आपकी कोई समस्या है या आपका घमंड ?एकबार आपकी समस्या के विषय में किसी को बताया जाए तो वो साथ दे भी देगा किंतु घमंड को कोई क्यों सहेगा !हर कोई अपने अपने जीवन का राजा होता है इसलिए ये आपको ही अपनों को समझाना होता है कि आपको तनाव हो रहा है किंतु आप तभी समझा सकते हैं जब आपको स्वयं पता हो जब आपको ही नहीं पता होता है कि आपको तनाव क्यों हो रहा है और कब तक रहेगा तो आप औरों से सहयोग की मदद कैसे माँग सकते हैं !यदि आप ऐसा करेंगे भी तो लोग कहेंगे कि आप नाटक कर रहे हैं !इसलिए ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए आपको अपने तनाव का कारण और निवारण पता होना चाहिए किसी से मदद भी आप तभी माँग पाएँगे अन्यथा आपकी मानसिक परिस्थितियों पर कोई क्यों विश्वास कर लेगा !आप किसी पर क्रोध करेंगे तो वो आपको गले क्यों लगाएगा ?आप ही अकेले जूझते रहेंगे !
      बंधुओ !मानसिक तनाव बढ़ना अत्यंत चिंता का विषय है वो भी तब  जबकि एक से एक शिक्षित समझदार बड़े बड़े पदों पर प्रतिष्ठित लोग भी तनाव का शिकार हो रहे हैं !गरीब लोग तो हैं ही किंतु सभी साधनों से संपन्न लोग भी तनाव का शिकार हैं दूसरों को तनाव से मुक्ति का पाठ पढ़ने वाले डॉक्टर भी तनाव का शिकार हैं !इसी तनाव के कारण कई डॉक्टरों इंजीनियरों व्यापारियों अफसरों को आत्महत्या जैसा  दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाते देखा जा रहा है !तनाव मनुष्य को अंदर अंदर खोखला करता जा रहा है शुगर वीपी जैसे रोगों के बढ़ने में तनाव की बहुत बड़ी भूमिका है !लोगों के एक दूसरे से संबंध ख़राब होते चले जा रहे हैं !
     "वसुधैवकुटुंबकं" अर्थात सारी पृथ्वी पर रहने वालों को अपना परिवार मानने वाला चिंतन अब एक व्यक्ति केंद्रित होता चला जा रहा है !हमारी सोच संकीर्ण होती चली गई हम विश्ववादी थे फिर उससे छोटा टुकड़ा अलगकर हम राष्ट्रवादी बने फिर प्रदेश जिला ग्रामवाद पड़ोसवाद से गुजरते हुए हमारी सोच इतनी संकीर्ण होती चली गई कि हम व्यक्तिवादी हो गए !तलाक जैसी दुर्घटनाएँ ऐसी ही प्रवृत्तियों के कारण पनप रही हैं !पहले हमने परिवार वालों को छोड़ा फिर माता पिता को छोड़ा अब पत्नी और बच्चों को भी छोड़ने की सीमाएँ लाँघने लगे हैं !इसके बाद हमारे पास छोड़ने के नाम पर शरीर छोड़कर और कुछ बचा नहीं है !इसीलिए अब हम आत्महत्या जैसे अत्यंत दुखद कदम उठाने लगे हैं !कुलमिलाकर विश्ववाद से लेकर व्यक्तिवाद तक हम समिटते चले जा रहे हैं !
       "वसुधैवकुटुंबकं" अर्थात सारी पृथ्वी पर रहने वालों को अपना परिवार मानने वाले हमारे चिंतन में किसी की किसी से कोई प्रतिस्पर्द्धा नहीं थी !विश्व एक है वो सबका अपना है इसलिए सभी लोग इसे मिलजुल कर अच्छा बनाने के लिए परिश्रम करते थे और जहाँ ईमानदारी से परिश्रम किया जाता है उसके परिणाम भी अच्छे निकलते थे !जब हम राष्ट्रवादी बने तो हमारा कंपटीशन किसी दूसरे राष्ट्र के साथ हो गया !प्रदेशवादी बने तो किसी दूसरे प्रदेश से जिलावादी बने तो किसी दूसरे जिले से गाँव वादी बने तो किसी दूसरे गाँव से परिवारवादी बने तो परिवार के दूसरे सदस्यों से कंपटीशन करके एक को पकड़ते और दूसरे को छोड़ते चले गए ! वैवाहिक जीवन में किसी दूसरे का ज्ञानविज्ञान पद प्रतिष्ठा सुंदरता आदि अच्छी लगी तो अपना वैवाहिक जीवन बर्बाद करके हम उसके पीछे चल पड़ते हैं जो गलत है हमारी मानसिक समस्याएँ बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है कि हम केवल अपने जीवित मानते हैं अपने को ही भोक्ता मानते हैं और बाकी सभी को पदार्थ मानने  लगे हैं !मानों सारे संसार के स्त्रीपुरुष सारे संसाधन समस्त वस्तुएँ केवल हमारे भोग के लिए ही बनी हैं !जो हमें न मिले या हमारे अनुशार व्यवहार न करे तो हम सह नहीं पाते हैं हमारे तनाव का सबसे बड़ा कारण  यह है !
      प्रायः देखा जाता है कि हमारा तनाव होने के लिए हमारे अपने बिलकुल नितांत निजी कारण होते हैं जिनके लिए हम और दूसरों को जिम्मेदार समझा करते हैं !अपना तनाव उसी पर उतारा करते हैं उसी से सारी अपेक्षाएँ करने लगते हैं !जबतक उसका अपना समय ठीक चलता रहता है तब तक वो हमारे द्वारा किया जाने वाला अच्छा तो सहता ही है बुरा बर्ताव भी सहता रहता है और हमारे संबंध मधुर बने रहते हैं किंतु किसी का समय एक जैसा कभी रहता नहीं है ऐसी परिस्थिति में जिस दिन हमारे जीवन साथी का भी बुरा समय आ जाता है तो वो भी कुछ सहने की स्थिति में नहीं रह जाता है उसे अपना तनाव बढ़ रहा होता है ऐसी परिस्थिति में समय के प्रभाव के कारण उसमें भी वही दोष आने लगते हैं जो उसके जीवन साथी में पहले से चले आ रहे होते हैं ! इसलिए अब वह भी कुछ सहने की स्थिति में नहीं रह जाता है !जबकि पहले वाला तो पहले से ही तनाव में चल रहा था और अपनी हर बात मनवाने के लिए आदी था ही इसलिए वो झुककर समझौता करे और उसकी बात माने जिससे हमेंशा अपनी ही बात मनवाता रहा है इसमें वो अपनी बेइज्जती समझता है !जब ये भावना उसके जीवन साथी में भी आ जाती है तो सहनशीलता की समाप्त होते ही दोनों के संबंध बिगड़ जाते हैं संबंध विच्छेद या तलाक जैसी परिस्थितियाँ पैदा होने लगाती हैं !
         ऐसी परिस्थिति में समयविज्ञान की सहायता बहुत मददगार हो सकती है क्योंकि किसी का समय एक जैसा कभी रहता नहीं है जिसका जब जैसा समय होता है उसके जीवन में तब तैसी परिस्थितियाँ घटित होने लगती हैं अच्छे समय में अच्छी और बुरे समय में बुरी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है !बुरे समय में ही तनाव बढ़ता चला जाता है !ये बुरा समय पति पत्नी या किन्हीं अन्य दो मित्रों का जब आगे पीछे आता है तब तो दोनों एक दूसरे का सहयोग करके अपने जीवन साथी या मित्र का साथ देकर उसका बुरा समय पास करवा दिया करते हैं किंतु जब दोनों का बुरा समय एक ही साथ आ जाता है और दोनों को एक साथ तनाव होने लगता है जिसके लिए वे दोनों एक दूसरे को जिम्मेदार समझने लगते हैं इस कारण से उन दोनों की मित्रता या वैवाहिक संबंध ऐसी परिस्थितियों में टूट जाया करते हैं जबकि ऐसे समय में उन दोनों को अतिरिक्त सहनशीलता की आवश्यकता होती है जिसके बलपर एक दूसरे की परिस्थितियाँ समझते हुए टूटते हुए संबंधों को बचाया जा सकता है !
        कई बार उन दोनों में से किए एक का तीन वर्ष का बुरा समय जिस समय चल रहा होता है उसी समय में यदि दूसरे का भी एक वर्ष का बुरा समय आ जाता है तो उस एक वर्ष में संबंध को बचाए रखा उन दोनों के लिए बहुत बड़ी चुनौती होती है !
        ऐसी परिस्थिति में उन्हें यदि पहले से पता हो कि किसका कब कितना समय बुरा आएगा और वो कितने महीने या वर्ष तक चलेगा जिसमें उसे तनाव होगा जिसमें वो सावधानी बरते ले तो मित्रता आदि अन्य संबंधों के साथ साथ अपने वैवाहिक जीवन को भी टूटने से बचाया जा सकता है !
        किसका कब कितना समय ख़राब रहेगा इसलिए किसे कब कितने वर्षों या महीनों तक तनाव रहेगा इस बात का पूर्वानुमान केवल 'समयविज्ञान' के द्वारा ही पता लगाया जा सकता है जिसके आधार पर आपकी  डेटआफबर्थ ,टाइमआफबर्थ तथा प्लेसआफबर्थ तीनों का समयविज्ञान की प्रक्रिया से अलग अलग अनुसंधान करना होता है जिसके आधार पर किसी के बिषय में  इस बात का पूर्वानुमानलगा लिया जाता है कि इसे तनाव कब और कितने समय के लिए होगा उतने समय को सावधानी पूर्वक निकाल लिया जाता है जिससे विवाह आदि सारे संबंध टूटने से बचा लिए जाते हैं !
      यदि आपको भी मित्रता ,विवाह परिवार नाते रिस्तेदारी आदि से संबंधित कोई ऐसा संबंध है जिसे आप इतना अधिक महत्वपूर्ण समझते हैं कि उसे टूटने नहीं देना चाहते हैं तो आप पहले से ही अपने और उसके समय के विषय में हमारे यहाँ से समयविज्ञान की प्रक्रिया के द्वारा पूर्वानुमान लगवाते रहिए और जैसे ही बुरा समय प्रारंभ होने की संभावना दिखाई पड़े तो उतने समय को सावधानी पूर्वक पार करके निकाल लें तो ये संबंध आपका कभी टूटेगा नहीं और न ही होगा 'तलाक!
       इसलिए यदि आपको आवश्यकता हो तो आप अपना डेटआफबर्थ आदि हमारे 'जीमेल'पर भेजकर अपने समय का पूर्वानुमान लगवाते रहिए ताकि आपको संबंधों के टूटने का दुःख कभी न सहना पड़े और न हो कभी पति पत्नी में तलाक ताकि बच्चे माता पिता से विहीन होकर अनाथों की तरह दर दर की ठोकरें खाते घूमते रहे हैं !

                                            -डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
                                              एम.ए.पीएचडी 'ज्योतिष '
                                                  द्वारा
                                           काशी हिंदू विश्व विद्यालय

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