राहुलगाँधी जी को प्रधानमंत्री बनने या कॉँग्रेस अध्यक्ष पद सँभालने के लिए इसे अवश्य पढ़ना चाहिए
आप इस लेख को अवश्य पढ़ें और जानें राहुलगाँधी और प्रियंकावाड्रा आखिर क्यों कभी नहीं बन सकते हैं प्रधानमंत्री !बड़ी बात यह है कि इसमें उनकी कोई गलती भी नहीं है काँग्रेस उन्हें यदि प्रधानमंत्री बनाना ही चाहती है तो उसे करने होंगे कुछ बड़े बदलाव !अन्यथा संपूर्ण काँग्रेस पार्टी ऐसे ही इस कमजोरी की सजा भोगते भोगते एक दिन समाप्त हो जाएगी !इसलिए इस कमजोरी को दूर करने के लिए हमारे सुझाव स्वीकार किए जाने चाहिए !अब आप स्वयं देखिए कि काँग्रेस की इतनी बुरी पराजय का वास्तविक कारण क्या है ?विस्तार से - -
भगवान राम के नाम का पहला अक्षर चूँकि 'र' है इसी र अक्षर के कारण ही श्री राम अपने बल पर कभी राजा नहीं बन सके थे जबकि वे दूसरों को राजा बनाते रहे किंतु खुद ... !भाई भरत ने अपना राज्य श्री राम को सौंपा तब वे राजा बन पाए !ऐसी परिस्थिति में 'र' अक्षर वाले राहुलगाँधी को अपना राज्य कोई क्यों सौंपेगा इसलिए वे अपने बल पर प्रधानमंत्री कैसे बन सकते हैं!चूँकि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता राहुल गाँधी हैं वे नहीं तो कौन ?इसलिए रिपीट होगी मोदी सरकार ! इसमें मोदी या भाजपा के लिए बहुत खुश होने जैसा कुछ भी नहीं है विपक्ष की जब तक ऐसी स्थिति रहेगी तब तक चुनावी परिणाम भी ऐसे ही होते रहेंगे !
इसी प्रकार से र अक्षर वाले रावण को उनके भाई कुबेर का दिया हुआ राज्य मिला था !ऐसी परिस्थिति में अपने बल पर चुनाव लड़कर कोई र अक्षर वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री बन जाएगा इसकी कल्पना भी नहीं की सकती !इसका मतलब ये भी नहीं कि र अक्षर वाले लोग अयोग्य होते है !ये वस्तुतः योग्य और सम्मानित होते हैं ये किसी दूसरे को पढ़ा सकते हैं अच्छी शिक्षा एवं अच्छी सलाहकारिता के कारण ऐसे लोग अत्यंत सम्मान अर्जित करके राजगुरु या किसी दूसरे को राजा बनाने की क्षमता रखते हैं किंतु ऐसे लोग स्वयं की राजनैतिक प्रतिभा के बल पर स्वयं राजा नहीं बन सकते हैं !जानिए कैसे ?
Mentel Health मानसिक स्वास्थ्य ! आखिर हमें तनाव क्यों होता है ?
जब हम कोई ऐसा काम करना चाह रहे होते हैं जिसमें समय हमारा साथ नहीं दे रहा होता है इसलिए हमारा वो काम या तो बनता नहीं है या फिर बनते बनते बिगड़ जाता है !उसका हमें तनाव होता है !
कई बार हम कोई वस्तु या कोई प्रापर्टी लेना चाह रहे होते हैं समय उसमें हमारा साथ नहीं दे रहा होता है इस बात का हमें तनाव होता है !
कई बार हम किसी लड़की या लड़के को चाहने लगते हैं हम उसे प्रेमी या प्रेमिका अथवा पति या पत्नी बना लेना चाहते हैं किंतु वो ऐसा नहीं चाहता या चाहती है जिसका हमें तनाव रहने लगता है !
कई बार हम अपनी ताकत से धन के बल पर किसी ऐसी लड़की या लड़के से विवाह कर लेते हैं जिसे पति या पत्नी से सेक्स का सुख समय के सहयोग से 90 प्रतिशत निश्चित किया गया होता है !किंतु हमारे जीवन में सेक्स का सुख 60 प्रतिशत ही समय के सहयोग से निश्चित किया गया होता है इस बिषय में 'समय' हमारा इतना ही सहयोग दे रहा होता है ! ऐसी परिस्थिति में हमारे जीवन साथी की तुलना में हमें सेक्स सुख 30 प्रतिशत कम मिलना होता है और उसे हमसे 30 प्रतिशत अधिक !इसलिए उस 30 प्रतिशत अधिक को कवर करने के लिए उसे हमारे अलावा किसी दूसरे से संबंध बनाने होते हैं जिसका हमें तनाव होता है !ऐसी परिस्थितियों को संयम और सदाचरण से मन को नियंत्रित किया जा सकता है किंतु इसके विषय में पहले से पता हो तब तो ऐसा किया जा सकता है अन्यथा लोग समय के बहाव में बह जाते हैं !
कुल मिलाकर समय किसी को बना सकता है बिगाड़ सकता है बिल्कुल नष्ट कर सकता है !बिलकुल बचा सकता है !इसलिए समय से टकराना ठीक नहीं है क्योंकि समय के वेग को प्रयास सावधानी और संयम पूर्वक थोड़ा बहुत मोड़ा जा सकता है किंतु रोका नहीं जा सकता है !समय के विरुद्ध चलने से तनाव ही होता है !
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'समय' बहुत बलवान होता है 'समय' की शक्ति पहचानो !
समय किसी को बना सकता है बिगाड़ सकता है बिल्कुल नष्ट कर सकता है !बिलकुल बचा सकता है !इसलिए समय से टकराना ठीक नहीं है क्योंकि समय के वेग को प्रयास सावधानी और संयम पूर्वक थोड़ा बहुत मोड़ा जा सकता है किंतु रोका नहीं जा सकता है !
समय किसी को बहुत ऊपर उठा सकता है बहुत नीचे गिरा सकता है! समय किसी को किसी से मिला सकता है वही समय उससे अलग भी कर सकता है !जो समय किसी को रोगी बना देता है वही समय उसे रोग मुक्त और स्वस्थ भी कर सकता है !समय किसी को राजा बना देता है और समय ही किसी को भिखारी बना देता है !समय बहुत बलवान होता है इसलिए सबसे पहले समय की ताकत को पहचानना चाहिए क्योंकि जब समय साथ छोड़ता है तब कोई दूसरा कोई मदद नहीं कर सकता है करेगा भी तो उससे अपने को लाभ नहीं हो पाता है और जब समय साथ देने लगता है तब कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता है !
तनाव भी तो समय के कारण ही बढ़ता है !हम जिस विषय में जब जैसा चाहते हैं यदि वैसा नहीं होता है तो हमें दुःख होता है किंतु यदि उससे विपरीत अर्थात उल्टा होने लगता है तो हमें तनाव होता है !किसी के जीवन में या प्रकृति में होता वैसा ही है जैसा समय होता है !इसलिए किसी का आने वाला समय कैसा होगा हमारे यहाँ इसका पूर्वानुमान लगाया जाता है
रोग और मृत्यु का समय सबका निश्चित होता है केवल पूर्वानुमान लगाने में चूक जाते हैं लोग !
सभी समस्याओं की जड़ है 'समय' और सभी समस्याओं के समाधान का कारण भी है समय !अक्सर देखा जाता है कि कोई स्वस्थ व्यक्ति अचानक अस्वस्थ होने लगता है इसका कारण होता है उसका अपना बुरा समय !इसी प्रकार से कोई अस्वस्थ व्यक्ति बिना किसी प्रयास के स्वस्थ होने लगता है इसका कारण उसका अपना अच्छा समय होता है !समय बदलते ही उसके जीवन में परिस्थितियाँ बदलने लगती हैं !
सुदूर गाँवों में जंगलों में जहाँ चिकित्सा सुविधाएँ नहीं हैं वहाँ के लोग भी बुरे समय में अस्वस्थ होते हैं और अच्छे समय में स्वस्थ होते देखे जाते हैं !यदि ऐसा न होता तो संसाधनों के अभाव में भी उनमें से रोगी लोग स्वस्थ कैसे हो जाते हैं ! ऐसी जगहों पर बच्चों के टीका करण की समुचित व्यवस्था न होने पर भी उनके शरीर निरोग और बलिष्ठ देखे जाते हैं!
जो जन्मा है वो मरता अवश्य है जिस समय जन्म हुआ होता है उसकी मृत्यु कब होगी यह भी उसी समय में निश्चित हो जाता है !मृत्यु का समय आने पर उसकी मृत्यु होती ही है वो जंगलों में हो या शहरों में गरीब हो या रईस बहुत बड़े हॉस्पिटल में चिकित्सकों की सघन देख रेख में हो या जंगल में अकेला हो समय आने पर मृत्यु सभी जगहों पर होते देखी जाती है !जहाँ चिकित्सा के बहुत अच्छे साधन होते हैं मृत्यु का समय आने पर वहाँ भी लोग मरते हैं !यदि मृत्यु का कारण समय न होता तो बड़े हॉस्पिटलों में चिकित्सकों की सघन देख रेख मेंरहने वाले साधन संपन्न रोगियों को अमर होना चाहिए था किंतु ऐसा नहीं होता है इसलिए जन्म और मृत्यु का मुख्यकारण सबका अपना अपना समय होता है !
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विवाहपूर्वानुमान - समाज, सरकार एवं विज्ञान के लिए सबसे बड़ी चुनौती ! जानिए कैसे ?
विवाह करने से ज्यादा कठिन है उसे निभाना !इसकेलिए अवश्यपढ़ना चाहिए 'विवाहविज्ञान' !
जिस लड़की या लड़के के साथ जो विवाह किया जा रहा है वो चलेगा कितने दिन !प्रेम प्रसन्नता उत्साह पूर्वक उन दोनों के द्वारा कितने समय तक निभाया जा सकेगा !इसका पूर्वानुमान भी तो लगाया जाना चाहिए !
सरकार ने तो मौसमसंबंधी पूर्वानुमान करने के लिए एक मंत्रालय बना रखा है वैवाहिकजीवन संबंधी पूर्वानुमान के लिए कुछ नहीं !आखिर क्यों ?वैवाहिक जीवन की इतनी उपेक्षा क्यों ?क्या ये जरूरी नहीं होना चाहिए !आखिर जीवन बचेगा तो मौसम की आवश्यकता होगी यदि जीवन ही नहीं बचेगा तो मौसम पूर्वानुमान लगाने से भी उसका क्या लाभ !सरकार कितना भी विकास कर ले!विज्ञान कितनी भी तरक्की कर ले जीवन बचेगा तभी उसका सदुपयोग होगा !जीवन ही नहीं बचेगा तो क्या कर लेगा विकास और विज्ञान !
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