मौसम का पूर्वानुमान मैथ से -
पूर्वानुमान पता लगाने के लिए क्रांतिकारी पहल !
यदि मौसम से संबंधित पूर्वानुमान आवश्यक है तो जीवन से संबंधित पूर्वानुमान जानना भी तो आवश्यक है आधुनिक वैज्ञानिकों ने उसके विषय में क्यों नहीं सोचा ? सच्चाई ये है कि शरीर अस्वस्थ एवं मन परेशान है तो सबसे पहले यह जानने की इच्छा होती है कि हमारा शरीर कब स्वस्थ होगा और चिंताएँ कब दूर होंगी ? पहले अपना स्वास्थ्य अपना मन उसके बाद में मौसम !शरीर स्वस्थ एवं मन प्रसन्न है तभी तो सब कुछ अच्छा लगता है !शरीर ही न रहे या परेशान रहे तो मौसम संबंधी पूर्वानुमानों का क्या किया जाएगा?इसलिए सबसे पहले अपने जीवन से संबंधित घटनाओं के पूर्वानुमान का पता लगाना चाहिए औरबाद में वर्षा बाढ़ आँधी तूफान से संबंधित पूर्वानुमानों का !
चिकित्सा में समय की बहुत बड़ी भूमिका है !
किसी का समय ठीक हो तो कम चिकित्सा या बिना चिकित्सा के भी बड़े बड़े रोग भाग जाते हैं !समय साथ देता है तो ग्रामीण किसान मजदूर एवं जंगल में रहने वाले आदिवासी भी स्वस्थ रह लेते हैं बिना कोई टिका लगे हुए भी उनके बच्चे स्वस्थ सुदृढ़ एवं निरोग रह लेते हैं !समय साथ न दे तो बड़े बड़े राजा महाराजा सेठ साहूकार मंत्री आदी सारे साधन होने के बाद भी रोगी होते और मरते देखे जाते हैं !इससे ये सिद्ध हो जाता है कि चिकित्सा बहुत कुछ है लेकिन सबकुछ नहीं है !स्वस्थ रहने के लिए समय और चिकित्सादोनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है !किसी का समय जब ख़राब होता है तब उसे कोई रोग होता है या किसी के साथ कोई शारीरिक दुर्घटना तभी घटित होती है जब उसका समय ख़राब होता है !जब तक किसी का समय ख़राब रहता है तब तक उस रोगी को अच्छे डॉक्टरों के विषय में पता नहीं होता है जब उनके विषय में पता होता है तब उनसे मुलाकात करना बड़ा कठिन हो जाता है जब वो मिल पाते हैं तो उन्हें रोग समझ में नहीं आता है जब वे रोग समझ पाते हैं तब वो जो दवा लिखते हैं वो या तो मिलती नहीं है और यदि मिल भी गई तो उस रोगी पर असर नहीं करती है !दवा के लाभ न करने पर डॉक्टर लोग दवाएँ बदलते रहते हैं !जबकि रोगी लोग चिकित्सक बदलते रहते हैं !स्वदेश से लेकर विदेश तक चिकित्सा करवाते करवाते जब उतना समय बिता लेते हैं जितना बुरा होता है !उसके बाद उस रोगी के स्वस्थ होने का जब समय आ चुका होता है उस समय ऐसे स्वस्थ होने लायक रोगियों की औषधी स्वयं उनका अपना समय ही बन जाता है !और वह स्वयं ही स्वस्थ होने लगते हैं !
स्वास्थ्य :शारीरिक और मानसिक पूर्वानुमानविज्ञान की उपेक्षा से होते हैं नुकसान ?
पूर्वानुमान केवल मौसम का ही क्यों जीवन का क्यों नहीं ?
अच्छी बुरी घटनाएँ यदि प्रकृति में घटित होती हैं तो जीवन में भी तो घटित होती रहती हैं!प्राकृतिक घटनाएँ यदि प्राकृतिक वातावरण को बना बिगाड़ सकती है तो जीवन में घटित होने वाली घटनाएँ जीवन को भी बना बिगाड़ देती हैं!प्रकृति में यदि वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान भूकंप आदि घटनाएँ घटित होती हैं तो मनुष्य शरीरों में भी तो ऐसे ही अनेकों प्रकार के रोग दोष ,चोट-चभेट आदि घटनाएँ घटित होती रहती हैं!जीवन के लिए शरीर और मन से संबंधित समस्याएँ भी बहुत महत्त्व रखती हैं !जीवन के लिए मौसम का पूर्वानुमान जानना यदि आवश्यक होता है तो शरीर के लिए शारीरिक और मानसिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना भी बहुत आवश्यक होता है !मौसम विज्ञान की पक्रिया से यदि मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगा लिया जाता है तो शरीरविज्ञान की पद्धति से शरीर संबंधी पूर्वानुमान लगाने की उपेक्षा क्यों की जा रही है उसका भी तो अनुसंधान किया जाना चाहिए !माना की आधुनिक मौसम वैज्ञानिकों में पूर्वानुमान जानने की क्षमता का अभाव है इसीलिए तो वो मौसम संबंधी पूर्वानुमानों के नाम पर झूठ बोलकर सरकारों को बरगलाया करते हैं ! इसलिए प्राचीन मौसम विज्ञान विभाग तो प्रकृति और जीवन से संबंधित सभी प्रकार के पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है !
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समय और संबंधों का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जा सकता है हमारे यहाँ संपर्क !
तनावविज्ञान
इससे संबंधित पूर्वानुमान लगाने के लिए 'समयविज्ञान' एवं 'लक्षणविज्ञान' का अध्ययन करना होता है !कुछ वर्ष महीना दिन आदि ऐसे आते हैं जिसमें बिना किसी विशेष कारण के भी लोग तनाव चिंता उन्माद निराशा भय आदि भावना का अनुभव करने लगते हैं इसे प्रकट करने के लिए कोई न कोई कारण खोज लेते हैं और उसे मुद्दा बनाकर उबल पड़ते हैं !कई बार ये उबाल हिंसक हो जाता है और कई बार अहिंसक ही बना रहता है !ऐसा कब होगा इसके लिए समय विज्ञान का अध्ययन आवश्यक है तथा ऐसा कहाँ होगा इसके लिए वहाँ की प्रकृति एवं प्राकृतिक लक्षणों आकृतियों आकारों का अध्ययन आवश्यक होता है !
विशेष - किसी एक समय में एक स्थान पर ऐसी परिस्थिति घटित होने पर भी सभी को एक जैसा तनाव उन्माद निराशा भय आदि नहीं होता है!किसी को अधिक होता है किसी को कम होता है और किसी को बिल्कुल नहीं होता है !इसका कारण उन सभी का अपना अपना समय होता है !इसके अलावा उस तनाव अवसाद आदि को कुछ सह पाते हैं कुछ नहीं सह पाते हैं और अचानक कोई अप्रिय घटना घटित हो जाती है !इसका कारण भी उन सबका अपना अपना समय होता है !
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मौसम की तरह ही जीवन से संबंधित घटनाओं समस्याओं रोगों मनोरोगों आदि का भी लगाया जा सकता है पूर्वानुमान !
समयविज्ञान के द्वारा लगाया जा सकता है प्रकृति और जीवन में घटित
होनेवाली सभीप्रकार की घटनाओं का पूर्वानुमान !
यह सबसे बड़ा विज्ञान है विश्व का सारा विज्ञान समयविज्ञान के आधीन है !विज्ञान के आधीन होकर वैज्ञानिक लोग अनुसंधान करने के लिए केवल प्रयास ही तो कर सकते हैं किंतु रिसर्च का वह प्रयास सफल ही होगा ऐसा निश्चय कोई कैसे कर सकता है इस विषय का निर्णय समय के आधीन होता है जिसका पूर्वानुमान केवल समयविज्ञान के द्वारा ही लगाया जा सकता है !
संसार में जो कुछ हो चुका है ,जो कुछ हो रहा है या जो कुछ होगा ! ये सभी कुछ समय के आधीन है !प्रकृति और मनुष्य आदि सभी जीव जंतुओं का जीवन साथ साथ चल रहा है जब प्रकृति पीड़ित और परेशान होती है तब जीवन भी परेशान होता है !प्राकृतिक आपदाओं की तरह ही प्राणियों के में रोग रूप में घटित होते हैं!