मौसमवैज्ञानिकों का झूठ पकड़ा गया !जानिए कैसे
मौसम वैज्ञानिकों ने मानी हार और स्वीकार किया कि मौसम का पूर्वानुमान लगा पाना उनके वश की बात नहीं है | ऐसी परिस्थिति में प्रश्न उठताहै जनता की खून पसीने की कमाई से प्राप्त टैक्स के पैसे सरकार ऐसे लोगों पर खर्च क्यों करती है जिनके वश का कुछ है ही नहीं !उन लोगों ने भूकंपों के विषय में पहले ही स्वीकार कर लिया था कि पूर्वानुमान लगाना उनके वश की बात नहीं है क्योंकि उसमें हाँ और न में सीधा जवाब देना पड़ता हैइसलिए इसमें झूठ चल नहीं पाता है तथा वर्षा आँधी तूफ़ान आदि में झूठ चल जाता है इसलिए अभी तक उस झूठ का सहारा लेकर मौसम संबंधीभविष्यवाणियाँ की जाती रही हैं जिन्हें सुन सुन कर किसान कृषि कार्यों में नुक्सान उठाते और आत्महत्या करते रहे हैं ऐसे मौसम पूर्वानुमान लगाने केनाम पर मौसम विज्ञान के सञ्चालन में अभी तक जो धन खर्च किया जाता रहा है उसकी पाई पाई और पलपल का हिसाब आखिर कौन देगा !आपस्वयं देखिए see more...https://epaper.livehindustan.com/imageview_484316_46643970_4_1_06-01-2020_8_i_1_sf.html
भाग्य के सहयोग के बिना कर्म का फल नहीं मिलता !
भाग्य और भगवान पर भरोसा न करने से पैदा होते हैं अहंकार अपराध और आत्महत्या जैसे भाव !
कोई भी अपराधी अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए या अपनी इच्छा के अनुशार दूसरों को चलाने के लिए अथवा अपने मन मुताबिक सुख सुविधा आदि पाने के लिए प्रयत्न करते करते जब थक जाता है इसके बाद भी सफल नहीं होता है तब भी उसके मन में पैदा होती है अपराध की प्रवृत्ति |
कुछ मोटीवेटर सिखाते देखे जाते हैं कि आप प्रयास करो सफलता अवश्य मिलेगी | यदि न मिले तो अपने कर्म करने में कोई कमी रह गई है ऐसा मानना चाहिए | इसलिए बार बार प्रयत्न करो सफलता अवश्य मिलेगी |
बंधुओं ! किसी कर्म और सफलता का संबंध पंखे के स्विच और पंखे के आपसी संबंध की तरह नहीं होता कि स्विच दबाते ही पंखा चल उठेगा | कर्म और सफलता दोनों अलग अलग बातें हैं किंतु जब इन दोनों को एक साथ मिला दिया जाता है तब अपराध करने का भाव जगता है | असफल
संतान न होने का एक कारण यह भी हो सकता है !
कई बार देखा जाता है कि पति पत्नी दोनों स्वस्थ होते हैं फिर संतान न हो रही होती है उनकी चिकित्सकीय रिपोर्ट सारी नार्मल आ रही होती हैं उनके आपसी संबंध भी सामान्य होते हैं फिर भी उनके संतान नहीं हो रही होती है ऐसी परिस्थिति में उनके यहाँ संतान न होने का कारण उन दोनों का अपना समय भी हो सकता है ?
कोई वृक्ष स्वस्थ हो हरा भरा हो इसका मतलब यह नहीं होता है कि उसमें फूल और फल हमेंशा फूलते फलते रहेंगे अपितु जब ऋतु अर्थात समय आता है फूल फल होते तभी हैं |
प्रयास भी तभी फल देते हैं जब समय अच्छा होता है बहुत अधिक खाद पानी देने से कोई वृक्ष ऋतु आने से पहले फूलते फलते नहीं देखा जाता है उसी प्रकार से से कितने भी महँगे चिकित्सक से चिकित्सा करा ली जा जाए और कितनी भी अच्छी औषधियाँ ले ली जाएँ किंतु किसी को संतान होती तभी है जब संतान होने का समय आता है |
तलाक होने का कारण है तनाव !तनाव न हो तो 'तलाक' क्या कोई संबंध नहीं बिगड़ेगा !जानिए कैसे ?
अब जानिए तनाव रोकने का उपाय !
किसी को तनाव होता है उसके अपने समय के कारण !आपका जब जैसा समय चल रहा होता है तब तैसा स्वभाव सोच बात व्यवहार आदि बनता है !समय का पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो तो तनाव को रोका जा सकता है !यदि आपको भी कोई तनाव है तो उसे समाप्त करने के लिए जरूर पढ़ें यह लेख !
आपका मानसिक तनाव बढ़ने से केवल आप ही नहीं अपितु आपके आसपास के सभी लोग प्रभावित होने लगते हैं आपका स्वभाव बदलजाता है आपका बात व्यवहार बदल जाता है जिसका आपको अहसास भी नहीं होता है और आपके आसपास के लोग घुट घुटकर आपके साथ जीने को मजबूर होते हैं आप संबंधों की दुहाई दे दे कर कब तक किसी को अपमानित करते रहेंगे और कोई क्यों सहेगा !आपके संपर्क में जो जितना अधिक निकट होता है आपसे वो उतना अधिक परेशान होता है चूँकि जीवन साथी(पति और पत्नी ) एक दूसरे के सबसे निकटतम सहयोगी होते हैं इसलिए एक दूसरे के तनाव से सबसे अधिक परेशान भी वही होते हैं !इसलिए वही परेशान होकर एक दूसरे से अलग हो जाते हैं !ऐसे ही अन्य सभी संबंध भी बिगड़ जाते हैं नाते रिस्तेदारियाँ टूट जाती हैं !
किसी का समय अच्छा बुरा दो प्रकार का होता है समय के अनुशार सोच बदलती जाती है !अच्छे समय में हम जिन लोगों को उनके बात व्यवहार को अच्छा समझकर जुड़ते हैं अपना बुरा समय आते वे सब वही रहते हैं किंतु वही लोग वही बात व्यवहार हमें बुरा लगने लगता है !समय के कारण सोच में इतना बड़ा बदलाव आ जाता है !
ऐसी परिस्थिति में हम समय का बदलना तो नहीं रोक सकते हैं किंतु यदि हमें इस बात का पूर्वानुमान पता हो कि कब कैसा समय बदल रहा है तो बुरा समय
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मानसिक तनाव बढ़ने से रोका कैसे जाए ? !
समय विज्ञान के द्वारा घटाया जा सकता है मानसिक तनाव !जानिए कैसे -
मानसिक तनाव घटाने के लिए तरह तरह की काउंसलिंग की जा रही है योग करने की सलाह दी जा रही है स्कूलों में हैपीनेस की कक्षाएँ चलाई जा रही हैं कुछ सरकारें आनंद मंत्रालय बनाना चाह रही हैं !इन सबके बाद भी एक से एक पढ़े लिखे शिक्षित समझदार लोगों को, बड़े बड़े व्यापारियों अधिकारियों आदि को तनाव से परेशान होते देखा जा रहा है आत्म हत्या जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ भी घटित होते देखी जा रही हैं किंतु मानसिकतनाव घटाने में सफलता नहीं मिल पा रही है !
कई बार लगता है कि अपने पूर्वजों के सामने भी समस्याएँ बहुत होती थीं उस समय कितने बड़े बड़े संयुक्त परिवार हुआ करते थे सबके साथ सबको तालमेल बैठाना पड़ता था कितना कठिन होता है यह काम किंतु वे बड़ी आसानी से कर लिया करते थे !पति पत्नी के बीच कभी तलाक जैसी नौबत नहीं आती थी